आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं और उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया मामले में मंगलवार को कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया और इसके साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है।
चिदंबरम ‘लापता’: दिल्ली उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होने के बाद सीबीआई अधिकारी पूर्व वित्तमंत्री पी.चिदंबरम के दिल्ली के जोरबाग इलाके में स्थित उनके आवास पहुंचे, लेकिन वहां उनसे मुलाकात नहीं होने पर अधिकारियों ने नोटिस जारी कर उन्हें दो घंटे में पेश होने का निर्देश दिया।
हालांकि अभी तक पी.चिदंबरम कहां है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पायी है। अभी ये भी स्पष्ट नहीं है कि अधिकारी चिदंबरम के आवास पर उन्हें गिरफ्तार करने गए थे या पूछताछ के लिए? अधिकारियों ने बताया कि चिदंबरम के आवास पर गई टीम के सदस्यों ने सीबीआई मुख्यालय आकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की।
टीम के सदस्यों ने चिदंबरम के आवास पर जो नोटिस चस्पा किया उसमें सीबीआई के उपाधीक्षक आर पार्थसारर्थी के समक्ष पेश होकर सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान दर्ज कराने को कहा गया है। सूत्रों ने बताया कि समन चिदंबरम को ई-मेल के जरिये भी भेजा गया है।
अदालत ने माना चिदंबरम ‘मुख्य साजिशकर्ता’ प्रतीत हो रहे: इससे पहले अदालत ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आईएनएक्स मीडिया से जुड़े धनशोधन मामले में वह “सरगना और मुख्य साजिशकर्ता” प्रतीत हो रहे हैं। अदालत ने कहा कि प्रभावी जांच के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यकता है।
अदालत ने कहा कि आईएनएक्स मीडिया घोटाला ‘”धनशोधन का बेहतरीन उदाहरण” है। अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता और अदालत से मिली राहत के दौरान पूछताछ में स्पष्ट जवाब नहीं दिया जाना दो आधार हैं जिनके कारण उन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जा रही।
न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने कहा कि ऐसे मामले में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। न्यायमूर्ति गौड़ बृहस्पतिवार को अवकाशग्रहण करने वाले हैं।
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बता दें कि उच्च न्यायालय ने 25 जुलाई, 2018 को चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की थी जिसे समय-समय पर बढ़ाया गया था। अब उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रभावी जांच के लिए चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है। अदालत ने कहा “क्योंकि वह सांसद हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तारी से पहले जमानत देने का कोई औचित्य नहीं होगा।”
क्या है मामलाः सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की और आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए मीडिया समूह को दी गई विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) मंजूरी में अनियमितताएं हुयीं इसके बाद, ईडी ने 2018 में इस संबंध में धनशोधन का मामला दर्ज किया।