लोकसभा चुनाव से जीत दर्ज कर भीम आर्मी के संस्थापक और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख 37 वर्षीय चंद्रशेखर आज़ाद अब चर्चा में हैं। आज़ाद ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से 1.51 लाख से ज़्यादा वोटों से जीत हासिल की है। उनके सामने बीजेपी, सपा और बसपा प्रत्याशियों की चुनौती थी।

ऐसा माना जा रहा है कि उनकी जीत ने मायावती की बसपा के गिरते ग्राफ के बीच दलित वर्ग को एक नया ऑप्शन दिया है। चंद्रशेखर आज़ाद ने द इंडियन एक्सप्रेस से कई मुद्दों पर लंबी बातचीत की है।

सवाल: जीत पर क्या कहना चाहेंगे?

मैं सबसे पहले बाबा साहब अंबेडकर और मान्यवर कांशीराम का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। अगर डॉ अंबेडकर ने संविधान में यह अवसर न दिया होता तो एक प्राइमरी स्कूल टीचर का बेटा संसद तक नहीं पहुंच पाता। अगर कांशीराम ने हमारा मनोबल न बढ़ाया होता तो हम कभी इस लड़ाई को लड़ने की ताकत नहीं जुटा पाते। इसके बाद धन्यवाद भीम आर्मी के कार्यकर्ता का जिन्होंने कड़ी मेहनत की, पुलिस की लाठियां खाईं और आपराधिक मामलों का सामना किया। और सबसे आखिर में नगीना की जनता जिन्होंने बड़ी-बड़ी पार्टियों को नजरअंदाज करके मुझे वोट दिया।

मैं समाज के सभी वंचित वर्गों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और खास तौर पर दलित समुदाय के लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं, जिन्होंने बीएसपी को छोड़कर मुझे वोट दिया। बीएसपी उम्मीदवार को सिर्फ 1% वोट मिले। मैं नगीना के लोगों को इसका बदला चुकाऊंगा।

सवाल: ऐसा कहा जा रहा है कि दलितों और वंचितों ने यूपी में विपक्षी इंडिया गठबंधन को बढ़त दिलाई है। आपका क्या आकलन है?

इस बात से मैं पूरी तरह सहमत हूं। लेकिन यह अपने आप नहीं हुआ है। लोगों में भाजपा सरकार के प्रति जो असंतोष है दिखाया है यह भीम आर्मी के संघर्ष के रहते हुआ है। इंडिया एलायंस के लोग लगातार मेरे संपर्क में हैं। जब मुझे पिछले साल गोली मारी गई वे मुझसे मिलने आए थे। बाद में जब मैंने बैठकें कीं तो वे मुझसे मिलने आए। इससे मतदाताओं में यह संदेश गया कि हम इंडिया एलायंस का हिस्सा है। लेकिन उन्होंने हमें सहयोगी नहीं बनाया। शायद, वे नहीं चाहते थे कि चंद्रशेखर अपने पैरों पर खड़ा हो।

फिर भी मैंने अपनी जिम्मेदारी निभाई। भाजपा के अहंकार को तोड़ना महत्वपूर्ण था। हमने यूपी में केवल दो सीटों पर चुनाव लड़ा, नगीना और डोमरियागंज। हमने संविधान को बचाने के लिए लोगों को INDIA गठबंधन के लिए वोट करने के लिए राजी किया। अगर कोई गठबंधन उम्मीदवार यह कह सकता है कि वे दलितों और वंचितों के वोटों के बिना जीते हैं तो मुझे बताए।

सवाल: आप सपा और कांग्रेस से अब क्या कहना चाहेंगे?

मैं उन्हें कुछ नहीं कहना चाहता। मैं न किसी का दोस्त हूं, न किसी का दुश्मन। मैं जानता हूँ कि मुझे अपने लोगों की लड़ाई अकेले ही लड़नी हैऔ र मैं देखना चाहता हूँ कि वे लोकसभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण में बढ़ोतरी का मुद्दा कितनी बार उठाते हैं। 2 अप्रैल, 2018 को हमारे 17 लोगों की मौत विरोध प्रदर्शनों के बीच हुई, क्या उन्होंने एक शब्द भी कहा? वे सिर्फ हमारे वोट चाहते हैं। वे हमें राजनीतिक जगह नहीं देना चाहते। हमें हमारी पार्टी को इतना मजबूत करना है कि हमें किसी की मदद की जरूरत ही न पड़े। अब हम अगले छह महीनों में देश में होने वाले सभी उपचुनाव और आने वाले सभी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।

सवाल : एक सांसद के रूप में अब आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?

मैं अपने लोकसभा क्षेत्र के लिए आवाज़ उठाता रहूंगा। यह क्षेत्र अविकसित है, यहां अच्छे अस्पताल, अच्छे कॉलेज या नौकरी के अवसर नहीं हैं। यह क्षेत्र हर साल बाढ़ का सामना करता है। लोग पलायन करने को मजबूर हैं। मेरे लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान चुनावों में 1 लाख से अधिक मतदाता यहां नहीं थे क्योंकि वे बाहर काम कर रहे थे।मैं अपने लोगों के दरवाज़े तक रोज़गार पहुंचाने की कोशिश करूंगा ताकि उन्हें पलायन न करना पड़े।

सवाल : आपने नगीना से चुनाव लड़ने का फ़ैसला क्यों किया?

यह हमारी पार्टी का फ़ैसला था। मैं पार्टी का एक कार्यकर्ता हूं। मूल विचार विपक्ष की मदद करना था। कुछ चीज़ें उन्होंने हमारे हाथ से छीन लीं, लेकिन हमने जो कर सकते थे, किया। नगीना में हमने सत्ता के ख़िलाफ़ जो विद्रोह किया, उसका असर पड़ोसी सीटों पर भी पड़ा, जहां विपक्ष ने जीत हासिल की है।