Sawalkote Project On Chenab River: केंद्र सरकार ने सिंधु जल संधि के निलंबन के बीच जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर 1,856 मेगावाट की सावलकोट जलविद्युत परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी दे दी है। चार दशकों से रुकी हुई यह परियोजना चिनाब बेसिन में भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है। इसका उद्देश्य भारत को 1960 की संधि के तहत पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब से अपने हिस्से का पूरा जल उपयोग करने में सक्षम बनाना है।

इसकी बहाली ऐसे समय में हुई है जब कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद इस सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की थी। इसके बाद भारत को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर स्वतंत्र रूप से बुनियादी ढांचे का विकास करने की अनुमति मिल गई थी।

दो चरणों में बनेगी सावलकोट जलविद्युत परियोजना

एनएचपीसी द्वारा निर्मित सावलकोट जलविद्युत परियोजना एक नदी-आधारित परियोजना है, जो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के रामबन, रियासी और उधमपुर जिलों में चिनाब नदी के पानी का उपयोग करेगी।

इसका निर्माण दो चरणों में (चरण 1 के लिए 6×225 मेगावाट और 1×56 मेगावाट, और चरण 2 के लिए 2×225 मेगावाट) 1,401 हेक्टेयर क्षेत्र में 31,380 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जाएगा। इस परियोजना में 192.5 मीटर ऊँचा कंक्रीट का बाँध, एक अपस्ट्रीम छोटा जलमार्ग, एक भूमिगत बिजलीघर और पानी को वापस नदी तक ले जाने की एक प्रणाली शामिल होगी। ये सालाना लगभग 753.4 करोड़ यूनिट बिजली पैदा करेंगे।

चिनाब का जल भंडारण बढ़ाएगी सावलकोट परियोजना

सावलकोट परियोजना क्षेत्र की बिजली आपूर्ति बढ़ाने के अलावा, भारत की चिनाब नदी के जल का प्रबंधन और भंडारण करने की क्षमता को भी बढ़ाएगी। यह अधिकार सिंधु जल संधि के तहत दिया गया है, लेकिन इंजीनियरिंग चुनौतियों व पाकिस्तान संग कूटनीतिक संवेदनशीलता के कारण इसका पूरी तरह से प्रयोग शायद ही कभी किया जाता है।

यह भी पढ़ें- ‘पाकिस्तान ने किया सिंधु जल संधि का उल्लंघन…’, भारत ने दिया शहबाज शरीफ को जोरदार जवाब

राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (एनएचपीसी) की संशोधित पर्यावरण-प्रबंधन योजना में शमन और पुनर्स्थापन उपायों के लिए लगभग 594 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पहले 392 करोड़ रुपये थे। इस योजना में जलग्रहण क्षेत्र उपचार, मलबा निपटान, जैव विविधता संरक्षण और वायु, जल, मृदा एवं जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की दीर्घकालिक निगरानी शामिल है। यह परियोजना मुख्यतः रामबन जिले के 13 गांवों को प्रभावित करेगी और लगभग 1,500 परिवारों को विस्थापित करेगी।

NHPC ने एक विस्तृत पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन योजना प्रस्तावित की है। जिसमें परियोजना प्रभावित परिवारों को आवास, आजीविका सहायता और कौशल विकास प्रदान किया जाएगा। सावलकोट परियोजना की परिकल्पना पहली बार 1980 के दशक में की गई थी, लेकिन वन मंजूरी, पुनर्वास के मुद्दों और संचयी प्रभाव अध्ययन से संबंधित प्रश्नों के कारण इसमें बार-बार देरी हुई।

यह भी पढ़ें- सिंधु नदी के जल से इन तीन राज्यों को होगा फायदा, केंद्रीय मंत्री ने बताया प्लान