PM Modi Blames Nehru: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सिंधु जल संधि को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की एक बड़ी भूल बताया और आरोप लगाया कि बाद की सरकारें इसे सुधारने में नाकाम रहीं। लोकसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेहरू भारत से निकलने वाली नदियों का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को देने पर सहमत हुए थे और भारत के इस्तेमाल के लिए सिर्फ़ 20 प्रतिशत पानी छोड़ा था। उन्होंने यह भी दावा किया कि न सिर्फ़ पानी बांटा गया, बल्कि नेहरू ने पाकिस्तान को नहर बनाने के लिए पैसे भी दिए।

मोदी ने कह कि सिंधु जल संधि नेहरू की सबसे बड़ी भूल थी। वह ऐसी कूटनीति जानते थे जिसमें भारत के किसानों के लिए कोई जगह नहीं थी। उन्होंने कहा कि उत्तरवर्ती सरकारों ने इस गलती को नहीं सुधारा, लेकिन हमने यह स्पष्ट कर दिया कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि यह संधि भारत के लिए एक बड़ा विश्वासघात है, क्योंकि देश के पास सिंधु नदी प्रणाली का केवल 20% हिस्सा ही बचा है। उन्होंने आगे कहा कि क्या कोई इस फ़ैसले के पीछे की मानसिकता समझा सकता है? हमारे पास सिंधु नदी प्रणाली का सिर्फ़ 20% हिस्सा बचा था। उन्होंने 80% हिस्सा उस देश को दे दिया जो खुलेआम ख़ुद को भारत का दुश्मन कहता है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि तत्कालीन सरकार ने सिंधु और उसके जल पर निर्णय लेने का अधिकार विश्व बैंक को दे दिया था। उन्होंने आगे कहा कि 1961 में नेहरू ने स्वीकार किया था कि उन्हें उम्मीद है कि सिंधु जल संधि अन्य मुद्दों के समाधान का मार्ग प्रशस्त करेगी, लेकिन हम अब भी वहीं अटके हुए हैं। नेहरू उस कूटनीति को समझते थे जिसमें किसानों के अस्तित्व को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया था। नेहरू पाकिस्तान की इस मांग पर सहमत हो गए थे कि भारत अपनी सीमा में बने बांध में आने वाले कचरे की सफाई या गाद नहीं निकालेगा।

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उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि के बिना पश्चिमी भारत में बड़ी परियोजनाएं होतीं, किसानों को पानी मिलता, पेयजल की समस्या कम होती और भारत अधिक बिजली का उत्पादन कर पाता। बाद में प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि सिंधु जल संधि को स्थगित रखा जाएगा और कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले असुरक्षा का माहौल था और कमज़ोर कांग्रेस सरकार के कारण कई जानें गईं।

बता दें, अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने पाकिस्तान के साथ दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया है। भारत और पाकिस्तान ने 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक अतिरिक्त हस्ताक्षरकर्ता था। इस संधि का उद्देश्य सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी को दोनों देशों के बीच समान रूप से विभाजित करना था। इस संधि के तहत, तीन पूर्वी नदियों- व्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत को और तीन पश्चिमी नदियों- चिनाब, सिंधु और झेलम का पानी पाकिस्तान को आवंटित किया गया था। वहीं, पीएम मोदी ने अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस की भी जिक्र किया। पढ़ें…पूरी खबर।