गतिमान एक्‍सप्रेस भारत की पहली ‘सेमी हाई स्‍पीड’ ट्रेन बताई जा रही है, लेकिन आंकड़े कहते हैं कि दशकों बीत जाने के बावजूद ट्रेनों की रफ्तार के मामले में हमारी तरक्‍की काफी धीमी है। नई दिल्‍ली से आगरा के बीच जल्‍द चलाई जाने वाली गतिमान एक्‍सप्रेस 28 साल पहले देश की सबसे तेज ट्रेन के तौर पर चलाई गई शताब्‍दी एक्‍सप्रेस से महज कुछ मिनट तेज है। गतिमान एक्‍सप्रेस की टॉप स्‍पीड 160 किमी प्रति घंटा बताई जा रही है।

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पहली शताब्‍दी ट्रेन 1988 में नई दिल्‍ली से झांसी के बीच चलाई गई थी। उस वक्‍त रेल मंत्री माधवराव सिंधिया थे। जवाहरलाल नेहरू की जन्‍म शताब्‍दी के मौके पर शताब्‍दी एक्‍सप्रेस चलाई गई थी। रेलवे के पुराने कागजात के मुताबिक, इस ट्रेन ने दिल्‍ली से आगरा पहुंचने में 115 मिनट लिए थे। रेलवे की तकनीक में तीन दशक के विकास और बीते दो साल की मशक्‍कत के बाद गतिमान एक्‍सप्रेस दिल्‍ली से ताज नगरी पहुंचने में 113 मिनट लेगी। 113 मिनट का वक्‍त इस ट्रेन ने लॉन्‍च से पहले अपने फाइनल ट्रायल में लिया है।

शुरुआती योजना के मुताबिक, गतिमान एक्‍सप्रेस को दिल्‍ली से आगरा के बीच की दूरी 90 मिनट में तय करनी थी। यह वक्‍त इस समय देश की सबसे तेज ट्रेन भोपाल शताब्‍दी के मुकाबले काफी कम था। 150 से 155 किमी प्रति घंटे के रफ्तार से चलने वाली भोपाल शताब्‍दी दिल्‍ली से आगरा के बीच 117 मिनट का वक्‍त लेती है। बाद में गतिमान एक्‍सप्रेस के लक्ष्‍य को 90 मिनट से बढ़ाकर 100 मिनट किया गया। कुछ ट्रायल के बाद टाइमिंग को 105 मिनट तक बढ़ाया गया। करते करते ल क्ष्‍य को 110 मिनट कर दिया गया, जो भोपाल शताब्‍दी के मुकाबले सिर्फ सात मिनट कम है। बता दें कि गतिमान एक्‍सप्रेस को 31 मार्च को लॉन्‍च करने की योजना थी, लेकिन रेलवे अब इसके लिए तैयार नहीं दिख रहा।

क्‍या है समस्‍या?

जानकारों के मुताबिक, सबसे बड़ी समस्‍या तो यह मानना ही है कि ट्रेन उस ट्रैक पर 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है, जो कोई एक्‍सक्‍लूसिव कॉरिडोर नहीं है। दिल्‍ली से आगरा के बीच 195 किमी लंंबे ट्रैक में 19 कॉशन प्‍वाइंट्स (caution points) हैं। इसका मतलब यह है कि इस छोटी सी दूरी में ट्रेन को 19 बार अपनी स्‍पीड घटानी होगी। कई बार तो 60 से 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक, भले ही ऐसा कुछ सेकंड्स के लिए ही क्‍यों न करना पड़े। गतिमान की रफ्तार एक बार कम करके इसे दोबारा बढ़ाने में हर बार डेढ़ से दो मिनट खर्च होता है। इन caution points में तीखे मोड़, ब्रिज और आबादी वाले इलाके शामिल हैं। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्‍तल का कहना है कि दुनिया में जहां भी हाई स्‍पीड ट्रेनें चल रही हैं, वहां सीधे ट्रैक हैं, वे घुमावदार ट्रैक बनाने से परहेज करते हैं। गतिमान के मामले में ऐसा नहीं है। मित्‍तल का यह भी कहना है कि 90 मिनट के लक्ष्‍य को अब भी फॉलो किया जा सकता है, अगर ट्रेन नई दिल्‍ली स्‍टेशन के बजाए निजामुद्दीन से रवाना हो। दूसरी समस्‍या इसके रूट में आने वाला मथुरा यार्ड है, जहां सिग्‍नल सिस्‍टम को अपग्रेड किए जाने की जरूरत है।

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