प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के शीर्ष अधिकारियों के बीच इस सप्ताह कई मुद्दों पर बातचीत हुई। इस दौरान डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के “स्वदेशी विकास” को बढ़ावा देने का निर्देश हुआ है। ये जानकारी हमारे सहयोगी संस्थान इंडियन एक्सप्रेस को पता चली है। सूत्रों ने एक्सप्रेस अखबार को बताया कि यह निर्देश उन 28 बिंदुओं में शामिल है जो 6 अक्टूबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों के सचिवों के बीच हुई बैठक के बाद जारी किए गए।

जानकारी के अनुसार ऐसा बताया गया है कि फैसले के तीन दिन बाद 9 अक्टूबर को कैबिनेट सचिव डॉ टीवी सोमनाथन ने अन्य सचिवों को पत्र लिखकर उनसे इन बिंदुओं पर कार्रवाई शुरू करने को कहा है। सूत्रों के अनुसार सोमनाथन ने शीर्ष अधिकारियों से कहा कि वे डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के स्वदेशी विकास के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा दें और युवाओं को घरेलू स्तर पर ऐसे प्लेटफॉर्म और डिजिटल बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए प्रशिक्षित करें।

भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 969.1 मिलियन

ऐसा समझा जाता है कि कैबिनेट सचिव ने शीर्ष अधिकारियों को यह भी बताया कि तकनीकी विकास को बढ़ावा देने के लिए ‘रिवर्स इंजीनियरिंग’ ‘मूल्यवान उपकरणों में से एक’ हो सकता है। इसके साथ ही अन्य प्रमुख कार्य बिंदुओं में सरकार की संचार रणनीतियों की समीक्षा हुई और पर्यटन से लेकर खेल और उच्च शिक्षा तक सभी क्षेत्रों में वैश्विक मानकों के अनुरूप उन्नयन शामिल है।

डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निर्देश महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत में इंटरनेट ग्राहकों की संख्या मार्च 2025 के अंत तक 969.1 मिलियन तक पहुंच गई। इनमें से अधिकांश ग्राहक इंस्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब और एक्स जैसे विदेशी प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं।

पीएम मोदी का यह कदम व्हाट्सएप के प्रतिस्पर्धी, ‘अराटाई’ जैसे भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लॉन्च के साथ मेल खाता है। जो उपयोगकर्ताओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है, हालांकि सुरक्षा और गोपनीयता के पहलू अभी भी चिंता का विषय बने हुए हैं। इस मैसेजिंग ऐप को तमिलनाडु स्थित ‘जोहो’ कॉर्पोरेशन ने विकसित किया है।

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पिछले महीने आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर पोस्ट किया था कि वह जोहो के घरेलू ऑफिस सुइट सॉफ्टवेयर पर स्विच कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि वह अपनी आधिकारिक ईमेल सेवा को जोहो मेल पर स्विच कर रहे हैं। फिर भी सोशल मीडिया एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारतीय कंपनियों का अभी तक कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। जहां अमेरिकी तकनीकी दिग्गज बड़े उपयोगकर्ता आधार और इंजीनियरिंग से लेकर लॉबिंग तक, बेहतर प्रतिभा और संसाधनों तक पहुंच के साथ इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। मैसेजिंग के लिए व्हाट्सएप, वीडियो सामग्री के लिए यूट्यूब और इंस्टाग्राम, ईमेल संचार के लिए जीमेल और सामाजिक एवं राजनीतिक टिप्पणियों के लिए एक्स जैसी सेवाओं के भारत भर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोगकर्ता हैं।

ट्रंप टैरिफ के बाद अमेरिका से संबंधों में आई खटास

सरकार द्वारा जारी किया गया यह निर्देश ट्रंप टैरिफ के जवाब में देखा जा रहा है। दरअसल अमेरिका द्वारा नई दिल्ली से आयातित उत्पादों पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को लेकर अमेरिका के साथ संबंधों में आई खटास के बाद आया है। अगस्त के अंत में टैरिफ लागू होने के बाद से मोदी ने अपने कई सार्वजनिक भाषणों में लोगों से स्थानीय स्तर पर विकसित स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने का आग्रह किया है।

सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री की बातचीत के बाद सभी केंद्रीय मंत्रालयों को संचार के लिए एक प्रभावी तंत्र स्थापित करने को कहा गया है। ताकि उभरते मुद्दों या सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर ‘ब्रेकिंग स्टोरीज’ पर वास्तविक समय पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके। जानकारों की मानें तो सचिवों को अपने मंत्रालयों और विभागों की संचार रणनीति की साप्ताहिक समीक्षा करने को कहा गया है। सूत्रों ने यह भी बताया कि उन्हें सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों के प्रभावी प्रचार-प्रसार के लिए भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों को सक्रिय रूप से शामिल करने का निर्देश दिया गया है।

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ऐसा समझा जाता है कि कैबिनेट सचिव ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए ‘संगठित प्रयास’ करने का निर्देश दिया है कि भारतीय विश्वविद्यालय, बैंक, चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म, खिलाड़ी और पर्यटन स्थल शीर्ष वैश्विक रैंकिंग में शामिल हों। अधिकारियों को देश की उभरती जरूरतों के अनुरूप विषयों के माध्यम से नवाचार और नए विचारों के साथ ही प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए पीएचडी कार्यक्रमों को पुनः दिशा देने के लिए कहा गया। इसके साथ ही साथ विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता को मान्यता देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों की संकल्पना तैयार करने को कहा गया।

कुल मिलाकर मंत्रालयों को ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देने और आयात को कम करने तथा घरेलू निर्माताओं के साथ बातचीत करके ऐसे उत्पादों की पहचान करने के लिए कहा गया है, जिनका निर्माण देश के भीतर किया जा सकता है।