भारतीय रेल देश में बनी सेमी हाई स्पीड ट्रेन Vande Bharat Express की संख्या में इजाफा करने वाला है। आजादी के 75 वर्ष मनाने के लिए अगस्त 2022 तक ट्रेन 18 के नाम से मशहूर 10 नई वंदे भारत एक्सप्रेस चलाई जाएंगी, जो करीब 40 शहरों को जोड़ेंगी।
प्रभार संभालने के बाद अपने शुरुआती कदमों में नए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रोजेक्ट की समीक्षा की है। साथ ही देश की रेल सेवाओं में अपग्रेड दिखाने के लिए अगस्त 2022 तक वंदे भारत ट्रेनों के साथ कम से कम 40 शहरों को जोड़ने के लिए इस योजना को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। हैदराबाद की इंजीनियर कंपनी मेधा को अपना प्रोडक्शन प्लान तेज करने के लिए कहा गया है, ताकि अगले साल कम से कम दो गाड़ियां आ सकें, जिसके बाद सभी के ट्रायल हो सकेंगे। बता दें कि कंपनी को फरवरी में कॉन्ट्रैक्ट मिला था, जिसके तहत उसे 44 वंदे भारत ट्रेनों के लिए इलेक्ट्रिक सिस्टम मुहैया कराने हैं।
वैसे, अनुबंध के तहत शर्त है कि वंदे भारत को हरी झंडी देने के लिए जरूरी सभी परीक्षणों और टेस्ट संग प्रोटोटाइप ट्रेन सेट को यात्रियों के साथ अगले लॉट के उत्पादन से पहले एक लाख किलोमीटर वाणिज्यिक दौड़ पूरी करनी होगी। इस शर्त का मतलब है कि वंदे भारत ट्रेनों को कमर्शियल तौर पर ट्रैक पर आने में कुछ महीनों का वक्त लगेगा। वैसे, जोर दिए जाने के बगैर दिसंबर 2022 तक या 2023 की शुरुआत में पटरियों पर ट्रेनों के पहले सेट को शुरू करने की योजना थी।
सूत्रों ने बताया कि शनिवार को चेयरमैन सुनीत शर्मा की अध्यक्षता में रेल बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें नए प्लान को लेकर युद्ध स्तर पर काम किए जाने की चर्चा हुई। अधिकारियों का अनुमान है कि अगर सभी तीन उत्पादन इकाइयों का उपयोग किया जाता है, तो रेलवे हर महीने लगभग छह-सात वंदे भारत ट्रेन सेट का निर्माण कर सकता है।
16 कोच वाली वंदे भारत का एक्सलेरेशन और डिएक्सलेरेशन खासा तेज होता है। यही वजह है कि स्टॉप होने के बावजूद यह अधिक एवरेज स्पीड बनाकर रख पाती है। यह चीज सुनिश्चित करती है कि ट्रेन 18 कम वक्त में सफर पूरा करे। गाड़ी में इसके अलावा ऑटोमैटिक दरवाजे, एयरलाइंस जैसा सीटिंग अरेंजमेंट और यात्रियों के लिए आरामदायक और अपडेटेड फीचर्स दिए गए हैं। और सरल भाषा में समझें तो यह आधुनिक रेल यात्रा का देश में पर्याय बन चुकी है।
मौजूदा समय में सिर्फ दो वंदे भारत संचालन में हैं। एक- दिल्ली से वाराणसी, जिसका उद्घाटन पीएम मोदी ने 2019 में किया था। वहीं, दूसरी- दिल्ली से कटरा के बीच जाती है। अंततः रेलवे की ऐसी 100 ट्रेनें पाने की योजना है। बता दें कि 100 वंदे भारत ट्रेनों को बनाने की खर्च 11 हजार करोड़ रुपए के आसपास आएगा। हर ट्रेन पर 110 करोड़ रुपए का खर्च होगा, जिसमें 16 कोच रहेंगे।