प्रधानमंत्री मोदी ने बीते सोमवार को भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया। इस स्टेशन का नाम पहले हबीबगंज रेलवे स्टेशन था लेकिन इसका नाम बदलकर अब रानी कमालपति स्टेशन कर दिया गया है। ये पहला मौका नहीं है जब मोदी राज में किसी रेलवे स्टेशन का नाम बदला गया है। मोदी सरकार के कार्यकाल में रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने की जैसे एक प्रथा चल पड़ी है लेकिन इसके पहले भी कई रेलवे स्टेशनों के नामों को बदलकर खास प्रतीकों या आइकॉन के नाम पर रखा गया है। अब तक कुल 26 रेलवे स्टेशनों के नाम मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान बदले गए हैं। 

मोदी सरकार के कार्यकाल में उन 10 प्रमुख रेलवे स्टेशनों के बदले गए नामों की बात करें तो, अकेले उत्तर प्रदेश में 5 रेलवे स्टेशनों को नया नाम दिया गया। यूपी में फैजाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदल दिया गया है। अब इसका नाम अयोध्या कैंट कर दिया गया है। वहीं, मुगलसराय जंक्शन का नाम दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया गया है। इलाहाबाद जंक्शन का नाम बदलकर प्रयागराज जंक्शन कर दिया गया है। जबकि, मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस रेलवे स्टेशन कर दिया गया है। इसके अलावा, दांदूपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर मां वराही देवी धाम रेलवे स्टेशन कर दिया गया है।

कर्नाटक में बेंगलुरु सिटी रेलवे स्टेशन के नाम को बदलकर क्रांतिवीर संगोली रायन्ना रेलवे स्टेशन कर दिया गया। इसके अलावा, गुलबर्गा रेलवे स्टेशन के नाम को बदलकर कलबुर्गी रेलवे स्टेशन कर दिया गया। मध्य प्रदेश में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया। महाराष्ट्र में ओशिवारा रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर राम मंदिर रेलवे स्टेशन कर दिया गया है। इसके साथ ही एलफिंस्टन रोड रेलवे स्टेशन का नाम भी बदलकर प्रभा देवी रेलवे स्टेशन कर दिया गया है। खास बात ये है कि तमाम नाम हिंदू रंग में रंगे हुए हैं।

दरअसल, भारतीय रेलवे किसी स्टेशन के नामकरण करने के मामले में शामिल नहीं होता है। यह चीज राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर है। किसी भी रेलवे स्टेशन के नाम को बदलना राज्य के अधीन है, भले ही रेलवे केंद्र से संबंधित मामला है। ऐसे मामलों में राज्य सरकारें केंद्रीय गृह मंत्रालय और नोडल मंत्रालय को अनुरोध भेजती हैं, जो रेल मंत्रालय के संज्ञान में रखते हुए अपनी मंजूरी देता है।