संसद में सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नागालैंड फायरिंग पर दिये बयान के बाद एक पीड़ित ने कहा कि हम भाग नहीं रहे थे। बिना चेतावनी दिए हमपर सुरक्षाबलों ने गोली चला दी। दरअसल अमित शाह ने राज्यसभा में कहा था कि सुरक्षाबलों ने पहले लोगों को रुकने का इशारा किया था लेकिन लोग भागने की कोशिश करते दिखे, जिसके बाद उन पर गोली चलाई गई।
बता दें कि नागालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में शनिवार शाम आठ खनिकों के एक समूह पर कथित रूप से घात लगाकर किए गए हमले में बचे केवल दो लोगों में से एक, 23 वर्षीय शीवांग ने यह बात बताई। शीवांग को कोहनी और सीने पर गोली लगी है। उनका डिब्रूगढ़ में असम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एएमसीएच) में इलाज चल रहा है।
हमें रुकने का संकेत नहीं मिला: द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में शीवांग ने अमित शाह के बयान के उलट कहा कि “हमें रुकने का संकेत नहीं दिया गया था। हम पर सीधे गोली चलाई गई। हम भागने की कोशिश नहीं कर रहे थे। गौरतलब है कि नागालैंड में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में 13 लोगों की मौत के बाद स्थानीय लोग भड़क गए। यह घटना सुरक्षा बलों के आंतकवाद विरोधी ऑपरेशन के दौरान हुई।
क्या है मामला: बता दें कि बीते 4 दिसंबर की शाम कुछ कोयला खदान मजदूर एक पिकअप वैन में सवार होकर घर लौट रहे थे। वहीं सेना के जवानों को उग्रवादियों की गतिविधि की जानकारी मिली थी। उग्रवादियों के इंतजार में सुरक्षाबल मोर्चा संभाले बैठे थे। तभी गलतफहमी में सेना ने मजदूरों के पिकअप वैन पर गोलीबारी कर दी।
जिसके बाद वहां आई भीड़ उग्र हो गई और हिंसा शुरू हो गई। लोगों ने सुरक्षा बलों के साथ धक्का मुक्की की। सेना के वाहनों में आग लगा दी। इश झड़प में एक सैनिक भी मारा गया। इस झड़प के बाद सेना की फायरिंग में सात और लोगों की मौत हुई। गुस्साई भीड़ ने कोन्याक यूनियन और असम राइफल्स के कैंप पर धावा बोल दिया। कार्यालयों में तोड़फोड़ करने लगे। कैंप के कुछ हिस्सों में आग भी लगा दी थी।