इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में जब एंकर ने गृह मंत्री अमित शाह से पूछा कि कि आप रैली में जय श्री राम ही बोलते हैं या जय बांग्ला भी बोलते हैं? इसका जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि जो लोग चाहते हैं वह बोलते हैं। इस पर एंकर ने कहा कि जनता क्या क्या चाहती है? इसका जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, ”दीदी नहीं है बोलने में चिढ़ेंगी नहीं। मुझे मालूम नहीं है कि ममता बनर्जी जय श्रीराम के नारे से क्यों चिढ़तीं हैं? तृणमूल कांग्रेस जय श्रीराम के नारे को हिंदुत्व या हिंदू धर्म के नारे के तौर पर देख रही है तो यह गलत है। अगर जय श्री राम सिर्फ धार्मिक नारा होता तो मैं बंगाल की जनता को जानता हूं कभी इस नारे को यहां के लोग स्वीकार नहीं करते। जय श्री राम तुष्टीकरण की राजनीति के खिलाफ एक नारा है।

कार्यक्रम में शाह ने कहा, ”क्या पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा ? बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा नहीं कर पाएंगे? रामनवमी के दिन शोभायात्रा नहीं निकल सकती ? आखिर कहां जी रहे हैं? ममता दीदी ने बंगाल को किस स्थिति में पहुंचा दिया? जय श्री राम का नारा आक्रोश के साथ जो लोग लगाते हैं वह इसलिए लगाते हैं कि ममता बनर्जी सरकार की तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति की अब इंतहा हो गई है। उसके खिलाफ लगाते हैं।

अमित शाह ने कहा कि यह नारा परिवर्तन का नारा है। मेरी बात याद रखिए। जब एंकर ने पूछा कि नारा आपके दिल के करीब है या इसलिए लगाते हैं कि ममता बनर्जी इससे चिढ़ती हैं? इसका जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि नारे तब बनते हैं, जब लोग उसे स्वीकार करते हैं। वंदे मातरम, इंकलाब जिंदाबाद, भारत माता की जय नारे ऐसे ही बने हैं। जय श्री राम के नारे को भी जनता ने स्वीकार किया है।


बता दें कि अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, ”मुझे मालूम नहीं है ममता दीदी जय श्रीराम के नाम से इतना क्यों चिढ़ती है। जय श्रीराम को धार्मिक नारे के रूप में इंटरप्रेट करने का जो प्रयास TMC कर रही है, वो गलत है। जय श्रीराम ममता सरकार की तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ आक्रोश व परिवर्तन का नारा है।’