पहलगाम आतंकी हमले में 26 भारतीय नागरिक मारे गए थे। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में पाक और उसके समर्थित आतंकी संगठनों को काफी नुकसान हुआ। हालांकि 12 मई को दोनों देशों में सीजफायर का ऐलान हुआ। कई विपक्षी नेता मोदी सरकार के फैसले को गलत बता रहे हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी सीजफायर से सहमत नहीं हैं।

प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर बोले ओवैसी

पुणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओवैसी से पत्रकारों ने पूछा यदि वह प्रधानमंत्री होते तो पहलगाम हमले पर क्या प्रतिक्रिया देते? इसके जवाब में ओवैसी ने कहा कि मेरे भाई, ये ख़्वाब देखने का मुझे शौक नहीं। मैं हक़ीकत से जूझता हूं और अपनी पहुंच का दायरा जानता हूं। ओवैसी के जवाब पर वहां बैठे लोग हंसने लगे।

ओवैसी ने कहा, “हमारा मक़सद सिर्फ़ सत्ता में बैठना या मंत्री बनना नहीं है। लेकिन एक भारतीय नागरिक होने के नाते मैं कहना चाहूंगा कि पहलगाम के बाद हमारे पास एक कड़ा जवाब देने का एक सच्चा मौक़ा था। पाक का बॉर्डर गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू कश्मीर से लगता है और वहां पर पाक के ड्रोन थे जंग जैसे हालात थे, ये रुका क्यों? मुझे नहीं पता, सच में मुझे नहीं पता कि ये रुका क्यों, युद्ध जैसे हालात थे। अचानक ऑपरेशन रुक गए। रुका क्यों भाई, जब पूरा देश निर्णायक जवाब देने के लिए तैयार था? अब संसद में बैठकर पीओके हासिल करने की बात करते हो।”

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पाकिस्तान में वहां की मिलिट्री ताकतवर- ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि आपके पास अच्छा मौका था लेकिन आपने उसे खो दिया। ओवैसी ने कहा कि जब तक पाकिस्तान में वहां की मिलिट्री ताकतवर है, तब तक आपको ISI से खतरा रहेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में मिलिट्री हमेशा ताकतवर रहेगी क्योंकि वह इसका इस्तेमाल बिजनेस करने में करते हैं।

ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान में आर्मी एक इंडस्ट्री चलाती है, उनका पैसा पर्यटन में लगा हुआ है, रियल स्टेट में लगा हुआ है। अगर वहां पर कोई मिलिट्री जनरल रिटायर होता है तो उसको दो बड़े घर मिलते हैं, उनके लिए तो वह एक इंडस्ट्री है।