कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच कई राज्य सरकारों ने शराब की बिक्री शुरू कर दी है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे आज यानी शुक्रवार को खारिज कर दिया गया है। आपको बता दें कि अदालत ने याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपए का जुर्माना भी ठोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राज्यों का नीतिगत मसला है और वे होम डिलिवरी या ऑनलाइन व्यवस्था कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान जस्टिस भूषण ने कहा कि हम कोई आदेश नहीं करते हैं, लेकिन राज्य सरकारें लोगों को अप्रत्यक्ष बिक्री या होम डिलिवरी को लेकर सोचें..इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रही रहेगी. यह राज्य सरकारों का नीतिगत मसला है।’
याचिकाकर्ता की तरफ से वकील साई दीपक सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। याचिकाकर्ता की तरफ से अदालत में कहा गया कि शराब की दुकानें कम हैं और वहां लगने वाली भीड़ काफी ज्यादा है। इसकी वजह से सोशल डिस्टेन्सिंग की धज्जियां उड़ रही हैं। उन्होंने अपील करते हुए अदालत से कहा था कि इससे आम आदमी कि जिंदगी प्रभावित हो रही है इसके अदालत को इसके संबंध में गृहमंत्रालय को निर्देश देना चाहिए।
आपको बता दें कि अदालत ने लॉकडाउन के दौरान शराब बिक्री की अनुमति दी है। लेकिन साथ ही साथ कहा गया है कि शराब की खरीद के दौरान दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेन्सिंग का खास ख्याल रखा जाना जरुरी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हम ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करेंगे, लेकिन राज्यों को सामाजिक दूरियों के मानदंडों और मानकों को बनाये रखने के लिए शराब की अप्रत्यक्ष बिक्री/ होम डिलीवरी पर विचार करने की आवश्यकता है।
आपको बता दें कि लॉकडाउन खुलने के बाद शुरुआत में कुछ शराब दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिली थी। कई जगहों पर सोशल डिस्टेनसिंग के उल्लंघन की तस्वीरें भी सामने आई थीं। जिसके बाद दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने साफ कहा था कि अगर अब सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन नहीं हुआ तो शराब की दुकानों को दोबारा बंद कर दिया जाएगा।
इधर छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने शराब की घर पर ही आपूर्ति के लिये सेवा शुरू की है। शराब के शौकीन अब मोबाइल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से शराब खरीद सकते हैं। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सोमवार चार मई से सामाजिक और व्यक्तिगत दूरी का पालन करते हुए राज्य की शराब दुकानों को संचालित करने का निर्देश जारी किया है।

