Raghuram Rajan: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ को लेकर चेतावनी दी है। राजन ने कहा कि निजी क्षेत्र के कमजोर निवेश, उच्च ब्याज दर और धीमे वैश्विक विकास दर के कारण भारत हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ से खतरनाक रूप से काफी नजदीक है। राजन ने कहा कि पिछले महीने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी राष्ट्रीय आय के ताजा अनुमान से पता चलता है कि तिमाही वृद्धि में सिलसिलेवार मंदी चिंताजनक है।
आंकड़ों बताते हैं कि चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दूसरी तिमाही में 6.3 प्रतिशत और पहली तिमाही में 13.2 प्रतिशत से घटकर 4.4 प्रतिशत पहुंच गई है। जबकि, पिछले वित्तीय वर्ष वर्ष की तीसरी तिमाही में विकास दर 5.2 फीसदी थी।
रघुराम राजन ने कहा कि पीटीआई से इंटरव्यू के दौरान कहा कि मैं अनुक्रमिक मंदी के बारे में चिंतित हूं। आरबीआई अभी भी दरों में वृद्धि कर रहा है, और वैश्विक विकास वर्ष के अंत में धीमा होने की संभावना है। पूर्व गवर्नर ने कहा कि यह पता नहीं है कि इन सबमें हम अतिरिक्त विकासदर कहां पाएंगे। उन्होंने कहा, सबसे बड़ा सवाल यह है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारतीय विकास दर क्या होगी। उन्होंने कहा, अगर हम पांच प्रतिशत वृद्धि हासिल करते हैं, तो हम भाग्यशाली होंगे।
उन्होंने कहा कि यह विकास की हमारी पुरानी हिंदू दर के खतरनाक रूप से करीब है। हमें बेहतर करना चाहिए। सरकार बुनियादी ढांचे में निवेश पर अपना काम कर रही है, लेकिन इसके निर्माण पर जोर देने से अभी तक लाभ नहीं मिला है। हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने पिछले वर्षों के लिए राष्ट्रीय आय के अनुमानों के ऊपर की ओर संशोधन के लिए धीमी तिमाही वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया था।
क्या है हिंदू ग्रोथ रेट?
हिंदू ग्रोथ रेट 1950 से 1980 के दशक तक कम भारतीय आर्थिक विकास दर का वर्णन करने वाला एक शब्द है। यह शब्द 1978 में एक भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण द्वारा धीमी वृद्धि का वर्णन करने के लिए गढ़ा गया था।