भारत-चीन सीमा विवाद के बीच रक्षा संबंधी संसद की स्थायी समिति की एक भी बैठक में शामिल नहीं होने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी भाजपा के निशाने पर रहे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष वह सारे काम करते हैं जो विपक्ष के एक जिम्मेदार नेता को नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मगर राहुल गांधी रक्षा मामलों की संसद की स्थायी समिति की एक भी बैठक में शामिल नहीं हुए। मगर वह देश का मनोबल गिराने, सशस्त्र बलों के शौर्य पर सवाल उठाने के साथ-साथ वे सभी काम कर रहे हैं जो एक जिम्मेदार विपक्षी नेता को नहीं करने चाहिए।

भाजपा के आरोपों पर अब कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक अंग्रेजी न्यूज चैनल में डिबेट के दौरान कहा कि डोकलाम विवाद पर जब मोदी सरकार को घेरा गया तो कांग्रेस नेता शशि थरूर को विदेश मामलों की समिति से ही हटा दिया गया था। एक सवाल के जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हां रक्षा समिति एक महत्ववूर्ण समिति है। मगर ये सरकार संसद की समिति को कोई महत्व देती है या नहीं। ये भी देखना होगा।

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डिबेट पैनल में भाजपा प्रक्ता संबित पात्रा भी मौजूद थे। उन्होंने पात्रा की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अचानक मेरे मित्र के लिए ये कमिटी बहुत महत्वपूर्ण हो गई। क्योंकि राहुल गांधी रक्षा संबंधी संसद की स्थायी समिति की एक भी बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि अगर उनके (केंद्र सरकार) लिए बहुत महत्वपूर्ण है तो मुझे बताएं कि पिछले संकटमय साढ़े तीन महीनों में, जब हमारी सरहदों पर मुश्किलें थीं, क्या तब रक्षा समिति की एक भी मीटिंग बुलाई? कांग्रेस नेता ने कहा कि आप सिर्फ चुनिंदा मुद्दों पर कमिटी को अहमियत नहीं दे सकते, जबकि संसद मे खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उपस्थिति रिकॉर्ड अच्छा नहीं है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने कहा कि भाजपा विपक्ष में थी जब सुषमा स्वराज इस समिति की अध्यक्ष रहीं। विपक्ष में रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी भी इस समिति के अध्यक्ष रहे थे। इस तरह से चीजें होती हैं। चूंकि शशि थरूर पैनल ने डोकलाम पर नुकसानदायक रिपोर्ट पेश की। उन्हें समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया।

पवन खेड़ा ने कहा कि इनके (केंद्र सरकार या भाजपा) लिए ये कमिटी महत्व नहीं रखती। अगर ऐसा होता पिछले ढाई-तीन महीने से चीन संकट चल रहा था। मीटिंग बुलाते, मगर नहीं बनाई गई।

उल्लेखनीय है कि को बाद में शशि थरूर को विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति का सदस्य बनाने की पेशकश भी की गई थी, मगर उन्होंने इसके लिए इनकार कर दिया था। तब उन्होंने समिति का सदस्य नियुक्त करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला का धन्यवाद दिया, लेकिन समिति का सदस्य बनने में असमर्थता जताई।