वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने तीसरे बजट में जो घोषणाएं की हैं, उनके जरिए लोगों पर 19 हजार करोड़ रुपए का ज्यादा टैक्स लगाया गया है। वित्त मंत्री का कहना है कि ज्यादातर टैक्स अमीर लोगों से वसूला जा रहा है। लेकिन जेटली के बजट में नौकरीपेशा लोगों को टैक्स से राहत दिलाने के लिए कुछ खास नहीं है। जो तीन घोषणाएं की गई हैं, उनसे छोटे करदाताओं को 4400 रुपए सालाना तक की बचत हो सकती है। पीएफ से पैसा निकालने पर 60 फीसदी रकम पर कर वसूलने की घोषणा कर वित्त मंत्री ने 4400 रुपए की मामूली राहत की खुशी भी कम कर दी।
1- 5 लाख रुपए तक सालाना आमदनी वालों को सेक्शन 87ए के तहत टैक्स रिबेट की सीमा दो हजार रुपए से बढ़ा कर पांच हजार रुपए कर दी गई है। वित्त मंत्री का कहना है कि इससे दो करोड़ करदाताओं की टैक्स लायबिलिटी 3000 रुपए तक कम होगी। यानी करीब 300 रुपए तक टैक्स बचा सकते हैं। यह राहत ऊंट के मुंह में जीरा बराबर भी नहीं है। पांच लाख रुपए तक सालाना आमदनी वालों के पास पहले से टैक्स बचाने के कई विकल्प थे। ढाई लाख रुपए तक वैसे ही टैक्स नहीं लगता। एचआरए और कुछ बचत स्कीम्स का फायदा उठा कर वे टैक्स देनदारी काफी कम कर लेते हैं।
2- किराये के मकान पर रहने वाले और एचआरए नहीं पाने वाले नौकरीपेशा लोगों की कर योग्य आय में कटौती की सीमा 24 हजार रुपए से बढ़ा कर 60 हजार रुपए सालाना कर दिया गया। सेक्शन 80 जीजी के तहत मिलने वाली इस छूट से से करीब 3600 रुपए तक की सालाना बचत हो सकती है।
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3- पहला घर खरीदने वाले को ब्याज की रकम में 50 हजार रुपए की अतिरिक्त कटौती का फायदा मिलेगा। पर इसके लिए शर्त यह है कि घर 50 लाख रुपए से कम का और लोन 35 लाख रुपए से अधिक का नहीं होना चाहिए। जो लोग इस प्रावधान का पूरा फायदा उठाएंगे उन्हें टैक्स में अधिकतक 500 रुपए की बचत होगी।
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टैक्स छूट की सीमा नहीं बढ़ी और स्लैब भी जस का तस रहा: मौजूदा टैक्स स्लैब के हिसाब से 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। वहीं 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर 20 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। 10 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आमदनी पर 30 फीसदी की दर से इनकम टैक्स लगाया जाता है। सीनियर सिटीजन को 3 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है।