नीरव मोदी-पीएनबी घोटाले का खुलासा होने से पहले ही आयकर विभाग ने एक जांच रिपोर्ट में अनियमितताओं का खुलासा किया था। इस रिपोर्ट में फर्जी खरीददारी, स्टॉक्स को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना, रिश्तेदारों को संदिग्ध भुगतान, अस्पष्ट कर्ज के बारे में विस्तार से लिखा गया था, हालांकि रिपोर्ट को किसी अन्य एजंसी से साझा नहीं किया गया। हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर करीब 10 हजार पन्नों की यह रिपोर्ट 8 जून, 2017 को तैयार कर ली गई थी। जब फरवरी 2018 में पंजाब नेशनल बैंक घोटाला सार्वजनिक हुआ, तब तक इस रिपोर्ट को गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) से साझा नहीं किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग ने फरवरी 2018 से पहले, तथ्यों को क्षेत्रीय आर्थिक खुफिया परिषद से भी नहीं बांटा जो कि विभिन्न एजेंसियों के बीच सूचना के आदान-प्रदान हेतु ही बनाया गया है। मोदी और चोकसी पर अपनी तीन फर्मों के जरिए सरकारी उपक्रम- पीएनबी से 13,500 करोड़ रुपये मूल्य का गबन किया। घोटाले का खुलासा होने से हफ्तों पहले, जनवरी 2018 के पहले सप्ताह में दोनों देश छोड़कर जा चुके थे।
आयकर विभाग ने 14 जनवरी, 2017 को मोदी की फर्मों की तलाशी ली थी, इसके अलावा उसके मामा चोकसी की कंपनियों का सर्वे भी किया गया था। यह तलाशी देशभर में फैले उनके कम से कम 45 आवासीय और व्यापारिक ठिकानों पर की गई। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह रिपोर्ट बाकी एजेंसियों के साथ इसलिए साझा नहीं की गई क्योंकि उस वक्त ऐसी रिपोर्ट्स शेयर करने के लिए ‘कोई प्रोटोकॉल नहीं’ था। अधिकारी ने कहा, ”नीरव मोदी और मेहुल चोकसी घोटाले के बाद, जुलाई-अगस्त 2018 से आयकर विभाग को सभी आयकर अप्रेजल रिपोर्ट्स फायनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) से साझा करने को कहा गया है।”
दिलचस्प बात यह है कि आयकर विभाग की जांच रिपोर्ट के तथ्यों का जिक्र सीबीआई और ईडी ने मोदी और चोकसी के खिलाफ दायर की गई चार्जशीट में किया है। आयकर विभाग ने अपनी रिपोर्ट में जो बातें पाईं, उनमें प्रमुख इस प्रकार हैं:
– सूरत स्थित विशेष आर्थिक जोन (SEZ) में मोदी की फर्मों में पड़े स्टॉक को बेहद बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। 2013-14 में नीरव मोदी की फायरस्टार इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड को साइप्रस की जेड ब्रिज होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड और मॉरीशस की वर्ल्डवाइड इनवेस्टमेंट लि. से 284.14 करोड़ रुपये मिले। फायरस्टार को सिंगापुर की इसलिंग्टन इंटरनेशनल होल्डिंग जो कि उनकी बहन पूर्वी मेहता की कंपनी है, से भी 271 करोड़ रुपये मिले। आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, मोदी को मिली इस रकम का सोर्स ‘संदिग्ध’ है।
– मोदी की फर्मों ने ”समूह की फर्मों को ब्याज-मुक्त कर्ज बांटे” वह भी तब जब खुद यही फर्में ‘भारी बैंक लोन’ ले चुकी थीं। चोकसी के मालिकाना हक वाले गीतांजलि ग्रुप को पैसा देने वाली आइरिस मर्सेंटाइल और प्रीमियर इंटरट्रेड, वित्त वर्ष 2013-14 तक गीतांजलि ग्रुप का ही हिस्सा थीं। इसके बाद, इन फर्मों की पार्टनरशिप में बदलाव हुआ और बोर्ड में नए पार्टनर्स लाए गए। आयकर विभाग ने पाया कि यह फर्में अपने रजिस्टर्ड पते पर नहीं मिलीं।
– मुंबई में तीन आवास प्रवेश फर्मों से नीरव मोदी ग्रुप ने 344.4 करेाड़ रुपये और गीतांजलि ग्रुप ने 2021 करोड़ रुपये की ‘बोगस खरीददारी” की।
– नीरव मोदी ग्रुप ने अपने सहयोगियों के साथ किए गए 515.87 करोड़ रुपये मूल्य के विदेशी लेन-देन के बारे में नहीं बताया।
– गीतांजलि जेम्स प्राइवेट लि. ने वित्त वर्ष 2016-17 में अपने शीर्ष प्रबंधन के रिश्तेदारों को कई ‘संदिग्ध’ भुगतान किए।