कोरोना के समय में जहां बड़ी-बड़ी कंपनियों और उद्योगों को ऑपरेट करने में दिक्कत आ रही है, वहीं कोर्ट का काम भी कुछ आसान नहीं है। पिछले करीब तीन महीनों से लॉकडाउन के चलते अलग-अलग कोर्ट्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामलों की सुनवाई करनी पड़ी है। खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी रास्ते से कई मामले सुलझाए हैं। हालांकि, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के दौरान आसपास घट रही कुछ घटनाओं ने रोचक और मजेदार वाकयों को जन्म दिया है।
दरअसल, एक मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व अटॉर्नी जनरल कोर्ट से वीसी के जरिए जुड़े। जब केस की सुनवाई शुरू हुई, तो चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने सीनियर एडवोकेट रोहतगी से मजाक में एक सवाल किया। इस पर रोहतगी का जवाब सुनने के बाद जजों के बीच ठहाके लगे। सीजेआई बोबडे ने रोहतगी से पूछा था कि क्या वे किसी म्यूजियम में बैठे हैं?, क्योंकि पीछे काफी मूर्तियां और स्टैच्यू दिखाई दे रहे हैं। इस पर रोहतगी ने मजाकिया लहजे में कहा कि वे अपने फॉर्महाउस पर बैठे हैं। अनलॉक के दौरान वे अपने फॉर्म आ गए हैं, ताकि दिन में दो बार स्विमिंग का मजा ले सकें।
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बता दें कि सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी गंभीर मामलों में भी अपने सयंमित व्यवहार और मजाकिया अंदाज के लिए जाने जाते हैं। पिछले महीने ही एक मामले पर सुनवाई के दौरान जब देश के सबसे महंगे वकीलों में से एक मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के सामने कहा था, “माय लॉर्ड, मेरा क्लाइंट काफी गरीब है।” इस पर जस्टिस मिश्रा को भी हंसी आ गई थी। रोहतगी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि “माय लॉर्ड अब मैं गरीबों के मुकदमे की भी पैरवी करने लगा हूं। अब कानूनी विरादरी बदल गई है। हम गरीबों का केस भी लड़ते हैं।”