जस्टिस अरुण मिश्रा ने NHRC के एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ की तो जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने नाराजगी जताते हुए उनके बर्ताव को शर्मनाक करार दे दिया। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा के बाद यह वाकया एक नई गिरावट को दिखा रहा है। हम उनसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वह मानवाधिकारों की रक्षा करने में सफल होंगे।
दरअसल, एनएचआरसी के प्रोग्राम में जस्टिस मिश्रा ने अमित शाह की तारीफ करते हुए कहा था कि उनके प्रयासों की वजह से जम्मू-कश्मीर के साथ उत्तर पूर्व के सूबों में शांति का नया अध्याय शुरू हुआ है। वह उनका स्वागत करते हुए खुद को गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। जस्टिस मिश्रा ने यह भी कहा कि भारत में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बेहतर तरीके से काम हो रहा है। हमने कई ऐसी स्कीमों का क्रियान्वयन किया जो नागरिकों के कल्याण से जुड़ी हुई थीं। हमारा लोकतांत्रिक ढांचा विवादों के शांतिपूर्ण व कानूनी निवारण में यकीन रखता है।
ध्यान रहे कि इसी साल फरवरी में उन्होंने नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की थी। 22 फरवरी को जस्टिस मिश्रा ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने नेतृत्व के लिए तारीफ हासिल करने वाले पीएम मोदी दूरदर्शी व्यक्ति हैं। उनकी अगुआई में भारत दुनिया में एक जिम्मेदार और दोस्ताना रुख रखने वाला देश बनकर उभरा है। न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करना समय की मांग है, क्योंकि यह लोकतंत्र की रीढ़ है। विधायिका इसका दिल है और कार्यपालिका दिमाग है। इन सभी अंगों को स्वतंत्र रूप से काम करना होता है। तालमेल से ही लोकतंत्र कामयाब होता है।
उनके बयान की तब ना सिर्फ़ न्यायिक हलकों में आलोचना हुई, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी इसको लेकर बहस शुरू हो गई थी। न्यायिक हलकों में ये मांग उठने लगी कि जस्टिस मिश्रा सरकार के ख़िलाफ़ अपनी अदालत में चल रहे मामलों से ख़ुद को अलग कर लें। अब फिर से नया विवाद खड़ा हो गया।
Shameful fawning behaviour by NHRC Chairman Arun Mishra. After his "Versatile genius" praise for Modi as sitting judge of the SC, this is a new low. How do we expect him to protect Human Rights? https://t.co/FSQs2MRXIM
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) October 12, 2021
मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से रिटायर अरुण कुमार मिश्रा को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नए अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था। उनके नाम की सिफारिश पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के पैनल ने की थी। हालांकि, एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के नए अध्यक्ष और सदस्यों के चयन की प्रक्रिया से खुद को अलग करने के लिए कहा था।
