सुरेंद्र सिंघल

महात्मा गांधी के 9 अगस्त, 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल रहे सहारनपुर निवासी 98 वर्षीय सुरेंद्र गर्ग को आज भी वह दिन याद है जब कानपुर में हुई सभा में 10 हजार से अधिक की भीड़ जुटी थी। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लोगों को तितर बितर किया था।

98 वर्षीय सुरेंद्र गर्ग ने 1942 के आंदोलन की बातें बताई। उन्होंने 9 अगस्त और 10 अगस्त, 1942 की घटनाओं का संक्षेप में इस तरह से उल्लेख किया। सहारनपुर के मोहल्ला मटियामहल निवासी प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी दिवंगत लाला भानूमल गर्ग के बेटे सुरेंद्र गर्ग 8 अगस्त, 1942 को कानपुर में क्राइस्ट चर्च कॉलेज में 12वीं के छात्र थे और छात्रावास में रहते थे।

उन्होंने बताया कि मुंबई में कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने का प्रस्ताव पारित कराया और देशवासियों से 9 अगस्त की सुबह से आंदोलन शुरू करने की अपील की। गांधी जी के अपील पर उन्होंने आंदोलन की अगुआई करते हुए विभिन्न कालेजों के विद्यार्थियों और छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थियों को कानपुर के तिलक हॉल में उपस्थित होने की अपील की। नेशनल हेरल्ड अखबार ने एक पेज के प्रकाशित संस्करण में गांधी जी के बीती रात दिए भाषण को संक्षेप में छापा था जिसे कानपुर नगर में वितरित किया गया था।

सुरेंद्र गर्ग ने बताया कि पुलिस ने गांधी जी को 9 अगस्त की सुबह ही गिरफ्तार कर लिया और मुंबई से लौटने के दौरान बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता भी गिरफ्तार कर लिए गए। उन्होंने बताया कि उस दौरान कम्युनिस्ट पार्टी गांधी जी के आंदोलन के विरोध में थी। कानपुर के एक कम्युनिस्ट नेता तिलक हॉल पहुंच गए और उन्होंने लोगों को गुमराह करते हुए फूल बाग की ओर भेजना शुरू कर दिया। जब वह वहां पहुंचे तो उन्हें उनकी साजिश का पता चला। सुरेंद्र गर्ग ने फूलबाग पहुंच कर मंच से इस नेता को किसी तरह से भगाया।

सभा में 10 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटी थी और लोग भारत मां की आजादी के पक्ष में और अंग्रेजों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। पुलिस ने वहां आंसू गैस के गोले छोड़े और भीड़ को तितर-बितर करने का काम किया। सुरेंद्र गर्ग के साथ दूसरे कालेज के एक अन्य छात्र हृदय अग्रवाल भी थे। सभा में ज्यादातर कालेजों के छात्र व नौजवान और आमजन ज्यादा थे। उस वक्त देश की जनसंख्या 33 करोड़ थी। लोग महात्मा गांधी की अपील को सुनते थे और कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहते थे। सुरेंद्र गर्ग ने बताया कि 8 अगस्त की शाम को डॉ. जवाहर लाल रोहतगी की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इस बैठक में मौखिक प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें तय किया गया कि फैक्ट्रियों में हड़ताल की जाए।

सुरेंद्र गर्ग के पिता भानूमल गर्ग स्वतंत्रता आंदोलन में तीन बार जेल गए। सुरेंद्र गर्ग कानपुर में डिफेंस आॅफ इंडिया रूल के तहत 2 अक्तूबर, 1942 को गिरफ्तार किए गए। उन्हें तीन माह की जेल हुई और दो माह 17 दिन बाद रिहा हुए। सुरेंद्र गर्ग बताते हैं कि उनके भाई कृष्ण कुमार गोंडा में शिक्षक थे। उन्हें भी पुलिस ने गिरफ्तार किया। जयप्रकाश नारायण के भूमिगत रहने के दौरान उनके भाई कृष्ण कुमार जयप्रकाश नारायण के निजी सचिव रहे।

सुरेंद्र गर्ग कांग्रेस के समाजवादी विचारधारा के नेताओं आचार्य नरेंद्र देव व डा राम मनोहर लोहिया के करीबी संपर्क में रहे और लंबे समय तक साथ काम किया। सुरेंद्र गर्ग को 98 वर्ष की उम्र में मलाल है कि भारत गांधी के सपनों के अनुरूप नहीं बन पाया है। कांग्रेस पार्टी भी गांधी के सिद्धांतों से भटकी है। आज की कांगे्रस गांधी-नेहरू की कांग्रेस नहीं है।