भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ने के साथ मृतकों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई मध्यम लक्षण वाले मरीजों की अचानक मौत हो रही है, जिससे डॉक्टरों में भय की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, संक्रमित होने के बाद कई मरीजों के शरीर के अंगों में खून जम रहा है। इसलिए उनके अंग फेल हो रहे हैं, जिससे कोरोना से लड़ाई के दौरान ही उनकी मौत हो जा रही है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए अब भारत के कई अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को ब्लड थिनर्स यानी खून को पतला करने वाली दवाइयां दे रहे हैं। इनमें डायबिटीज की दवा सबसे आम है।
गौरतलब है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अब तक मरीजों को खून पतला करने की दवा देने के संबंध में कोई गाइडलाइन नहीं जारी की है। हालांकि, कुछ डॉक्टरों ने ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि कोरोना पीड़ितों में खून गाढ़ा होने की चुनौती ब्रिटेन, अमेरिका और इटली में देखी गई। गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल के हेड ऑफ क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट डॉक्टर यतिन मेहता ने बताया कि इटली में तो कोरोना से मरने वालों की ऑटोप्सी में सामने आया कि उनके फेफड़ों, किडनी और दिमाग में खून बुरी तरह जम चुका था। इसलिए हम कोरोना मरीजों को खून पतला करने वाली दवाइयां दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के सारे अस्पतालों में संक्रमण से जूझ रहे मरीजों को यह दवा दी जानी चाहिए।
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एम्स दिल्ली में कोरोनावायरस संक्रमितों के इलाज की गाइडलाइंस भी पिछले हफ्ते ही बदली गई हैं। इसमें मरीजों को दी जाने वाली दवाओं में थ्रोमबोप्रोफिलेक्सिस दवा जोड़ी गई, जो खून का जमाव रोकने में कारगर है। जहां संक्रमितों में सांस लेने की दिक्कत और निमोनिया के लक्षण साफ देखे गए। वहीं कुछ मरीजों में किडनी और दिल से जुड़े मामले भी सामने आए हैं। डॉक्टरों को 40 फीसदी केसों में मरीज के शरीर के किसी अंग और फेफड़ों में खून के थक्के मिले हैं।
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