Citizenship: गृहमंत्रालय ने 9 राज्यों के गृह सचिवों और 31 जिलों के डीएम को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का अधिकार दिया। इसके पहले गृहमंत्रालय ने एक नवंबर को गुजरात के मेहसाणा और आणंद जिलों के डीएम को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने की इजाजत दी थी। केंद्र की बीजेपी सरकार के इस फैसले को गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले लिए गए बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है।

इसके पहले साल 2019 में केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने का ऐलान किया था, लेकिन पूरे देश में इसका विरोध शुरू हो गया था। पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को यह नागरिकता, नागरिकता अधिनियम, 1955 के अंतर्गत दी जाएगी। यहां विवादों में फंसे नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

CAA से अलग है यह कानून

सीएए में भी पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का ही प्रावधान है लेकिन अभी तक सरकार ने इसके अधियनियम पूरे नहीं किए हैं। इस वजह से सीएए के तहत अभी पड़ोसी देशों से आने वाले नागरिकों को नागरिकता नहीं दी जा सकती है। वहीं केंद्र सरकार के अधिसूचना नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 के तहत और नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण की अनुमति देने और उन्हें देश के नागरिक का प्रमाण पत्र देने की इजाजत देता है।

पाकिस्तानी हिन्दुओं को लौटना पड़ा वापस

नागरिकता देने के केंद्र सरकार के सख्त नियमों की वजह से 22 अगस्त को पाकिस्तान से बड़ी संख्या में आए हिन्दू शरणार्थियों को वापस लौटना पड़ा था। वीजा नियम कठिन और महंगे होने की वजह से लगभग दो साल में 1500 हिन्दू शरणार्थियों को वापस पाकिस्तान लौटना पड़ा। ये हिन्दू पाकिस्तान में अत्याचारों से तंग होकर भारत चले आए थे सूत्रों के मुताबिक जनवरी 2022 से जुलाई 2022 तक 334 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी वापस पाकिस्तान चले गए हैं।