भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (IAS) पूजा खेडकर (Puja Khedkar) पर जाति व दिव्यांगता के फर्जी प्रमाणपत्र देने के आरोप लगने के बाद सोशल मीडिया पर अन्य अधिकारियों पर भी ऐसे आरोप लगने शुरू हो गए हैं। ऐसे में सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करने वाले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की चयन प्रक्रिया के दौरान प्रमाणपत्र की जांच संबंधित व्यवस्था भी सवालों के घेरे में आ गई है।

UPSC से इन मामलों की गंभीरता से जांच कराने का आग्रह

विशेषज्ञों का मानना है कि यूपीएससी को इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए इनकी तुरंत पारदर्शी तरीके से गहन जांच करनी चाहिए। ताकि, इस परीक्षा पर उम्मीदवारों का भरोसा पूरी तरह से कायम रहे। दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी को न सिर्फ बर्खास्त किया जाना चाहिए, बल्कि उनसे प्रशिक्षण खर्च और वेतन की वसूली भी की जानी चाहिए। पूजा खेडकर की ओर से अधिकार और विशेषाधिकारों के दुरुपयोग का मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों द्वारा फर्जी प्रमाणपत्रों के उपयोग के दावों- प्रतिदावों की झड़ी लग गई है।

लोगों ने कई अफसरों के नाम और फोटो भी डिटेल के साथ शेयर किये

सोशल मीडिया पर लोगों ने कुछ आइएएस और आइपीएस अधिकारियों के नाम, फोटो और अन्य विवरण साझा करते हुए दावा किया है कि उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए उपलब्ध लाभों का उपयोग करने के लिए फर्जी प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया है।

इन आरोपों के आलोक में यूपीएससी के पूर्व सदस्य व उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि यूपीएससी का प्रमाणपत्रों की जांच का तंत्र बहुत अच्छा है, लेकिन कुछ लोग धनबल और बाहुबल के दम पर इस भर्ती निकाय की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। यूपीएससी को चाहिए कि जिन-जिन सिविल सेवा अधिकारियों पर फर्जी प्रमाणपत्र देने के आरोप लग रहे हैं, उनकी जांच के लिए तुरंत मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए। उनके सभी प्रमाणपत्रों का फिर से गहन परीक्षण होना चाहिए। विक्रम सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि इन मामलों के पीछे कोई संगठित गिरोह है, जिसका पर्दाफाश होना चाहिए। जिन लोगों का जुर्म साबित होता है, उन्हें कानून के मुताबिक कठोर सजा मिलनी चाहिए। भले ही यूपीएससी पर आज तक कोई आरोप नहीं लगा है, लेकिन सरकार को अब सामने आ रहे मामलों में सीबीआइ जांच की संस्तुति करनी चाहिए, ताकि देश में सबसे बड़ी परीक्षा का आयोजन करने वाले भर्ती निकाय की प्रतिष्ठा पर कोई दाग न रहे।

गुरुकुल आइएएस के प्रमुख प्रणय अग्रवाल का कहना है कि पूजा खेडकर पर लगे आरोप इस परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए किसी झटके से कम नहीं है। साथ ही सोशल मीडिया पर अधिकारियों पर लग रहे आरोपों से लग रहा है कि इस तरह का यह पहला मामला नहीं है। अग्रवाल कहते हैं कि यूपीएससी पर अभी तक कोई दाग नहीं है और लाखों उम्मीदवारों का विश्वास आयोग पर टिका हुआ है। उसे अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए तुरंत और पारदर्शी जांच शुरू कर देने चाहिए। उनका मानना है कि प्रमाणपत्रों को जांचने वाली एजंसियों को अपनी प्रक्रिया को सशक्त बनाने की जरूरत है। यूपीएससी को चाहिए कि वह ऐसी शिकायतों के लिए एक हेल्पलाइन बनाए और इस माध्यम से मिलने वाली शिकायतों के आधार पर जांच करनी चाहिए। इससे उम्मीदवारों का जो विश्वास डगमगा गया है, उसे पुन: स्थापित करने में मदद मिलेगी।

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कराने वाले संस्थान निर्माण आइएएस में राजव्यवस्था एवं संविधान के शिक्षक राज शेखर का दावा है कि देश में ईडब्लूएस और पीडब्लूडी के बड़ी संख्या में प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से बनवाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि देश में धन के बल पर इन प्रमाणपत्रों को हासिल करना बहुत आसान है। यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद जब उम्मीदवार की तैनाती होती है तो वहां प्रमाणपत्रों की जांच के दौरान यह फर्जीवाड़ा होता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 के बाद से ऐसे मामलों के बारे में सुना जा रहा है। यूपीएससी को चाहिए कि तब से अब तक के आरक्षित श्रेणी के सभी उम्मीदवारों के प्रमाणपत्रों की गहनता से जांच की जाए। सरकार को भी दिव्यांगता और जाति प्रमाणपत्रों को जारी करने की व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए। कार्मिक एवं परीक्षण विभाग को चाहिए कि तैनाती के समय प्रमाणपत्रों का गहनता से परीक्षण किया जाए।

वहीं, सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे ध्रुव ने बताया कि वह दो बार मुख्य परीक्षा दे चुके हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली है। उनका कहना है कि उनके जैसे हजारों उम्मीदवार हैं, जो इस परीक्षा को देते हैं, लेकिन किसी के भी मन में यूपीएससी से लिए मन में कोई शंका नहीं थी। मगर, अब जो मामले सामने आ रहे हैं, उससे विश्वास थोड़ा जरूर डगमगा रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि ऐसे तो अब तक बहुत सारे योग्य उम्मीदवारों का हक कोई और ही ले रहा है। जो मामले सोशल मीडिया के माध्यम से भी आ रहे हैं, उन सभी की जांच बेहद जरूरी है। इसी तरह लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के पूर्व प्रमुख संजीव चोपड़ा ने कहा कि जो लोग सिविल सेवाओं में शामिल होने के लिए फर्जी जाति और दिव्यांगता प्रमाणपत्र का उपयोग करते पाए जाते हैं, उन्हें न सिर्फ बर्खास्त किया जाना चाहिए, बल्कि उनसे प्रशिक्षण खर्च और वेतन की वसूली भी की जानी चाहिए।

पूजा खेडकर के घर के पास अवैध निर्माण हटाया गया

पुणे में प्रशिक्षु आइएएस अधिकारी पूजा खेडकर के पारिवारिक बंगले के पास एक अवैध संरचना को हटा दिया गया है, नगर निकाय ने उन्हें इसे हटाने के लिए नोटिस जारी किया था। एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि हो सकता है कि खेडकर के परिवार ने कथित अतिक्रमण हटा लिया हो, क्योंकि पुणे नगर निगम (पीएमसी) द्वारा निर्धारित समय सीमा अभी समाप्त नहीं हुई है।

Puja Khekar Home, Encroachment in Puja Khekkar Home
14 जुलाई, 2024 को विवादास्पद प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर का पुणे जिले के बानेर स्थित आवास। (एक्सप्रेस फोटो)

पीएमसी अधिकारियों ने 13 जुलाई को शहर के बानेर रोड इलाके में स्थित बंगले के बाहर एक नोटिस चिपकाया था, जिसमें आईएएस अधिकारी के परिवार से संपत्ति से लगे फुटपाथ पर 60 फुट लंबाई, तीन फुट चौड़ाई और दो फुट ऊंचाई वाले अनधिकृत ढांचे को हटाने के लिए कहा गया था। नगर निकाय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने बंगले पर नोटिस चिपकाकर उनसे (खेडकर के परिवार से) सात दिनों के भीतर अतिक्रमण हटाने को कहा था। नोटिस में कहा गया है कि अगर परिवार सात दिनों के भीतर संरचना को हटाने में विफल रहा, तो पीएमसी इसे हटा देगा और उनसे खर्च वसूल करेगा। पुणे नगर निगम ने अभी तक इस ढांचे को नहीं हटाया है, क्योंकि समयसीमा अभी खत्म नहीं हुई है। परिवार ने संभवत: निजी कर्मचारियों को काम पर रखकर इसे हटवाया होगा।

खेडकर पर आइएएस में पद हासिल करने के लिए कथित रूप से दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे का दुरुपयोग करने का आरोप है। इसके अलावा उन पर पुणे कलेक्टर कार्यालय में अपनी तैनाती के दौरान अनुचित आचरण के भी आरोप हैं।