मनोनीत चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) शरद अरविंद बोबड़े ने सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल की शुरुआत में हुए विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। दरअसल एक पत्रकार ने जब उनसे सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा शीर्ष अदालत के काम के तरीके पर सवाल उठाने के मुद्दे पर उनके विचार जानने चाहे तो वह सवाल से बचते नजर आए। बता दें कि बीते दिनों चार जज मीडिया के सामने आए थे और अदालत के काम के तरीके पर सवाल खड़े किए थे। ऐसा पहली बार हुआ था जब देश में जजों ने प्रेस कॉनफ्रेंस की थी।

बहरहाल इस सवाल को नजरअंदाज करने के बाद उन्होंने अन्य सवालों के जवाब दिए। उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत करने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही व्यवस्था में कुछ खामियां जरूर हैं जिन्हें दूर करने के लिए उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के स्टाफ को कानूनी शिक्षा दी जानी चाहिए जो कि लंबी अवधि के सुधार के लिए काफी अहम है।

वहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जजों की आलोचना के मुद्दे पर भी उन्होंने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जजों को लेकर जो लिखा है निश्चित तौर पर इससे कुछ जजों को फर्क नहीं पड़ता लेकिन कई जजों को पड़ता है। बोबड़े ने कहा कि लोगों को फैसलों और आदेशों पर प्रतिक्रियाएं देनी चाहिए लेकिन जजों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।’

कौन हैं एसएस बोबड़े: बोबड़े 18 नवंबर को सीजेआई पद की शपथ लेंगे। वह देश के 47वें चीफ जस्टि होंग। उनका कार्यकाल 23 अप्रैल 2021 तक होगा। नागपुर में जन्मे न्यायमूर्ति बोबड़े की पढ़ाई भी वहीं हुई। उन्होंने 1978 में बंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में वकालत शुरू की और वर्ष 2000 में वहीं हाई कोर्ट जज बने।

वे अक्तूबर 2012 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने 12 अप्रैल 2013 को शपथ ली थी। जस्टिस बोबड़े इस वक्त राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई कर रही पीठ का हिस्सा हैं, इसके अलावा भी वे कई बड़े फैसलों में शामिल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आधार कार्ड को लेकर दिए गए आदेश में भी जस्टिस बोबडे शामिल थे।