Constitution Club Elections: दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया (CII) के सचिव (प्रशासनिक) पद के लिए हुए कड़े मुकाबले वाले चुनाव में वरिष्ठ भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर विजयी हुए। रूडी ने एक अन्य भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को करीब 100 वोटों से हराया।

53 साल के संजीव बालियान ने पहली बार कांस्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का चुनाव लड़ा। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान बालियान ने अपनी हार के लिए विपक्षी खेमे को जिम्मेदार ठहराया।

सीसीआई चुनाव को लेकर संजीव बालियान ने कहा कि मैंने यह चुनाव कांस्टिट्यूशन क्लब में सुधार लाने और उसकी पुरानी गरिमा को बहाल करने के एजेंडे के साथ लड़ा था। अब सांसद और पूर्व सांसद कांस्टिट्यूशन क्लब में अक्सर नहीं आते। मेरा एजेंडा था कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसद वहां एक साथ बैठें और चर्चा करें। मैं कांस्टिट्यूशन क्लब के उस गौरव को पुनः स्थापित करना चाहता था जो धीरे-धीरे कम होता गया है। अगर आप नतीजे देखें, तो मुझे बहुत से लोगों का समर्थन मिला। लेकिन विपक्ष के मतदाताओं ने अपनी पार्टी लाइन का पालन किया, हालांकि यह पार्टी लाइन पर चुनाव नहीं था।

जब संजीव बालियान से पूछा गया कि आप और आपके प्रतिद्वंदी उम्मीदवार रूडी दोनों ही भाजपा से हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें कांग्रेस, सपा और तृणमूल कांग्रेस का समर्थन मिला है… आपके विचार से विपक्षी दलों ने उनका समर्थन क्यों किया, आपका नहीं? इस सवाल पर बालियान ने कहा कि उनकी (विपक्ष की) उनसे गहरी दोस्ती हो सकती है और मुझसे दुश्मनी, लेकिन मुझे भी समर्थन मिला।

चुनाव हारने पर बालियान ने कहा कि कुछ (विपक्षी) दलों के सारे वोट एक ही उम्मीदवार को मिले। पार्टियों ने शीर्ष स्तर पर यह फैसला किया। इसने वहां मेरे उन दोस्तों को भी मजबूर किया, जो मुझे वोट देना चाहते थे, कि वे पार्टी लाइन का पालन करें और किसी दूसरे उम्मीदवार को वोट दें। समाजवादी पार्टी (सपा) का ही उदाहरण लीजिए। मैं उत्तर प्रदेश से हूं। ज़ाहिर है कि वहां मेरे ज़्यादा दोस्त मेरे समर्थन में हैं। लेकिन उन्हें अपने नेतृत्व का पालन करना ही था। कई विपक्षी दलों ने भी यही स्थिति पैदा की।

चुनाव में अपने अनुभव को साझा करते हुए बालियान ने कहा कि शानदार और जानदार चुनाव रहा । मैंने नए दोस्त बनाए और नए लोगों से परिचय हुआ। मैंने एक ऐसी व्यवस्था को चुनौती दी जिसे पिछले 25 सालों से चुनौती नहीं दी गई थी। मैंने बदलाव लाने के लिए उसे चुनौती दी। बहुत से लोगों को मेरा एजेंडा पसंद आया। अगर पार्टी लाइन का दखल न होता, तो शायद मुझे सफलता मिल जाती।

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सीसीआई चुनाव लड़ने को लेकर बालियान ने कहा कि नौकरशाह अक्सर यहां (CCI में) बड़ी संख्या में आते हैं। बाहरी लोग भी आते हैं। अब यह सांसदों का क्लब नहीं रहा। सांसद और पूर्व सांसद यहां नहीं आते। मायावती यहीं से नेता बनीं। इंडिया अगेंस्ट करप्शन की शुरुआत यहीं से हुई थी। लोहिया साहब ने यहीं से काम किया था। चंद्रशेखर जी यहां नियमित रूप से आते थे। यह विभिन्न दलों की राष्ट्रीय राजनीति की चर्चा का केंद्र था। इसलिए मेरा विचार उस गौरव को पुनः स्थापित करने का था। क्या आप भविष्य में भी यह चुनाव लड़ेंगे? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं ऐसा नहीं कह सकता।

बालियान से जब पूछा गया कि इस हाई-प्रोफाइल चुनाव में दोनों उम्मीदवार भाजपा से थे। आपने बीजेपी के भीतर वोट कैसे जुटाए? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह दोस्ती का चुनाव था… जनता के सामने अपना एजेंडा रखने का। वह (रूडी) मुझसे बहुत वरिष्ठ हैं। उनके (रूडी) पैनल के पंद्रह लोग सामूहिक रूप से चुनाव लड़ रहे थे। हालांकि, मैं अकेला था। नरेश अग्रवाल, अक्षय यादव, दीपेंद्र हुड्डा, राजीव शुक्ला, नवीन जिंदल, उनके पैनल में थे। मैं अकेला था और मेरा कोई पैनल नहीं था। मैं अकेले ही 15 लोगों के खिलाफ लड़ा। वहीं, राजीव प्रताप रूडी का दबदबा कायम जबकि संजीव बालियान को हार का सामना करना पड़ा है। पढ़ें…पूरी खबर।