हैदराबाद में एक बड़े बच्चा चोरी गैंग का खुलासा हुआ है, जहां गैंग के ये आरोपी एक अंतरराज्यीय स्तर पर बच्चा बेचने का घिनौना काम कर रहे थे। ये आरोपी बच्चों को दिल्ली और पुणे के इलाकों में उनके गरीब मां-बाप से खरीदते थे, लेकिन फिर उन्हें आंध्र प्रदेश से लेकर तेलंगाना में जाकर बेचते थे। ये आरोपी उन बच्चों को 1.5 लाख रुपये से लेकर 5.5 लाख तक की कीमत पर बेच देते थे। इसको लेकर हैदराबाद की मेडिपल्ली पुलिस ने इस पूरे केस को लेकर विस्तार से जानकारी दी है।
जानकारी के मुताबिक दिल्ली और पुणे में गरीबों और बेघर लोगों से शिशुओं को ‘खरीदते’ थे और उन्हें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में निःसंतान दंपतियों को 1.8 लाख रुपये से 5.5 लाख रुपये के बीच में बेचते थे। जानकारी के मुताबिक तीन लोगों को अब तक इस केस में गिरफ्तार किया गया है, जबकि अन्य की तलाश जारी है।
पुलिस को मिली थी बच्चा बेचने की जानकारी
इस केस को लेकर राचकोंडा के पुलिस आयुक्त डॉ. तरुण जोशी ने बताया कि 22 मई को उन्हें हैदराबाद के बाहरी इलाके में मेडिपल्ली पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में एक बच्ची की ‘बिक्री’ के संबंध में एक व्यक्ति से शिकायत मिली थी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दो महिलाओं, शोभा रानी और एम स्वप्ना, और शेख सलीम नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था।
पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ये कथित तौर पर शिशु को बेचने के लिए सौदा करने की कोशिश कर रहे थे। पूछताछ करने पर उन्होंने नई दिल्ली और पुणे से लाए गए शिशुओं को बेचने का एक नेटवर्क चलाने की बात कबूल की। कथित सरगना हैदराबाद के बाहरी इलाके घाटकेसर में काम करने वाला बदरी हरि हारा चेतन है।
50 बच्चों बेच चुके ये आरोपी
पुलिस कमिश्नर जोशी ने बताया कि गिरोह नई दिल्ली में रहने वाले किरण और प्रीति और पुणे में रहने वाले कन्नैया नामक व्यक्ति से बच्चे खरीदता था। हमें पता चला है कि उन्होंने इन दो शहरों से करीब 50 बच्चे गिरोह को दिए हैं, जो उन्हें एजेंटों को सौंप देते हैं और अंततः तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में निःसंतान दंपतियों को सौंप देते हैं। कीमत 1.8 लाख रुपये से लेकर 5.5 लाख रुपये प्रति बच्चे तक थी।
जानकारी के मुताबिक गिरोह के सदस्यों को एजेंटों और बिचौलियों को भुगतान करने के बाद 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये का लाभ होता था। हमने 11 बच्चों को बचाया है और उन्हें बाल कल्याण गृहों में भेज दिया है। मेडिपल्ली पुलिस स्टेशन में इस केसों को लेकर शिकायत दर्ज हुई थी। वहां के इंस्पेक्टर आर गोविंद रेड्डी ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि गिरोह द्वारा गरीब, बेघर लोगों से एक महीने से दो साल की उम्र के बच्चों को खरीदकर उन्हें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश लाया रहा था।
रेड्डी ने कहा कि यह गिरोह दो-तीन लोगों की छोटी-छोटी इकाइयों के ज़रिए काम कर रहा था और उन्हें इसमें शामिल अन्य लोगों की पहचान नहीं थी। कॉल रिकॉर्ड का इस्तेमाल करके हमने गिरोह के बाकी आठ सदस्यों की पहचान की। हमने सबसे पहले दो शिशुओं को बचाया जिन्हें बेचा जाना था और फिर उन्हें खरीदने वाले दंपतियों से नौ और शिशुओं को बरामद किया है।