भारत में कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच इसके इलाज के लिए वैक्सीन बनाने का काम भी जोर-शोर से शुरू कर दिया गया है। देश की पहली संभावित कोरोना वैक्सीन COVAXIN के क्लिनिकल ट्रायल सफल होने के बाद अब इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। भारत में इसे लेकर काफी उम्मीदें जताई गई हैं। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर इस वैक्सीन के आगे की टेस्टिंग की निगरानी शुरू कर दी है। इस वक्त देश के 12 अस्पतालों में 375 लोगों पर यह वैक्सीन टेस्ट की जा रही है।
भारत बायोटेक का कहना है कि वह रैंडमाइज्ड डबल ब्लाइंड क्लिनिकल ट्रायल करेगी। यानी इस टेस्ट में शामिल कुछ लोगों को असली दवा दी जाएगी और कुछ लोगों को सिर्फ प्लेसिबो यानी नमक ग्लूकोज दिया जाएगा। मरीज को नहीं पता होगा कि उन्हें वैक्सीन दी गई है या नहीं। सिर्फ रिसर्चर्स के एक वर्ग को पता होगा कि किस मरीज को क्या दिया गया है। इसके बाद कुछ दिन तक पीड़ितों की निगरानी की जाएगी और टेस्ट की अवधि पूरी होने के बाद उनमें वैक्सीन का प्रभाव देखा जाएगा। इसी के आधार पर तय होगा कि वैक्सीन कोरोना को खत्म करने में कितनी प्रभावी है।
किन अस्पतालों में हो रही वैक्सीन की टेस्टिंग?
कोरोना की इस पहली संभावित वैक्सीन की टेस्टिंग इश वक्त देश के 12 अस्पतालों में हो रही है। इनमें ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस दिल्ली, एम्स पटना, विशाखापत्तनम का किंग जॉर्ज हॉस्पिटल, रोहतक का पीजीआई, बेलगाम का रेखा अस्पताल, नागपुर का गिल्लुरकर मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गोरखपुर का राणा हॉस्पिटल, चेन्नई का एसआरएम अस्पताल, हैदराबाद का निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, भुवनेश्वर का कलिंग हॉस्पिटल और कानपुर का प्रखर हॉस्पिटल और गोवा का एक हॉस्पिटल शामिल है।
आईसीएमआर ने पहले ही इन 12 संस्थानों को ह्यूमन ट्रायल्स के लिए लोगों को जुटाने और आंतरिक कमेटी से मंजूरी लेने का आदेश दे दिया था। बता दें कि पहले स्वास्थ्य मंत्रालय इस वैक्सीन का परीक्षण 15 अगस्त तक पूरा करना चाहता था। हालांकि, डॉक्टरों और रिसर्चरों ने इसे नामुमकिन बता दिया था। इसकी सुरक्षा और प्रभाव जानने के लिए अभी दो फेज में ह्यूमन ट्रायल किए जाने हैं।
