उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को यह आरोप लगाया कि राज्य में ‘आतंक का राज’ है। कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि वहां की पुलिस संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कुचलने के लिए लोगों को झूठे मामलों में फंसा रही है। इसके साथ कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एनआरसी और एनपीआर पर ‘सफेद झूठ’ बोल रही है। बता दें कि CAA और NRC पर पिछले कई दिनों से हिंसा और विरोध जारी है।

NPR के जरिए ‘संदेहास्पद नागरिकों’ की पहचान करेगी सरकार-कार्यकर्ताः मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कानून के मुताबिक सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) से मिले आंकड़ों का इस्तेमाल ‘संदेहास्पद नागरिकों’ की पहचान करने के लिए कर सकती है। इसके साथ ही बाद में इसका इस्तेमाल एनआरसी के लिए भी किया जा सकता है।

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कई लोगों ने लगाया यूपी सरकार पर आरोपः मामले में मंदर ने एएमयू छात्रों पर ‘पुलिस की बर्बरता’ का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि समूचे राज्य ने ‘अपने नागरिकों के एक हिस्से के खिलाफ खुला युद्ध छेड़ रखा है।’ वहीं स्वराज इंडिया’ के नेता योगेंद्र यादव ने भी कहा, ‘उत्तर प्रदेश में आंतक का राज चल रहा है।’ इसके साथ मेरठ जाने वाले तथ्य अन्वेषण आयोग की सदस्य कविता कृष्णन ने भी आरोप लगाया कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों को कुचलने के लिए पुलिस लोगों पर झूठे मामले दर्ज कर रही है।

दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 10 दिनों से चल रहा विरोध प्रदर्शनः संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में 15 दिसंबर को जामिया नगर में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद से दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर शाहीन बाग इलाके में विरोध प्रदर्शन चल रहा है। पिछले 10 दिनों से जारी इस ‘शाहीन बाग रिजिस्ट’ में रोज सैकड़ों महिलाएं परिवार और घरेलू कामकाज में सामंजस्य बैठाते हुए इसमें भागीदारी कर रही हैं। इसके साथ दिल्ली में भी हर रोज किसी न किसी रुप में विरोध होते रहते हैं।