वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे से जुड़े मामले में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की खासी फजीहत हुई। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने ASI की तरफ से पेश अफसर से पूछा कि आप मस्जिद का सर्वे किस तरह से करने जा रहे हैं, ये हमें बताए। लेकिन अफसर कोई तार्किक जवाब नहीं दे सके तो चीफ जस्टिस का पारा चढ़ गया।

4.30 तक वाराणसी से इलाहाबाद नहीं आ सके ASI के अफसर तो बढ़ा स्टे

चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने आदेश दिया कि शाम 4.30 बजे तक वाराणसी से ASI के किसी जिम्मेदार अफसर को हाईकोर्ट में पेश होने को कहा जाए। उनका जवाब सुनने के बाद ही वो कोई फैसला दे सकते हैं। हालांकि कोई अधिकारी दी गई समय सीमा तक कोर्ट में पेश नहीं हो सका। चीफ जस्टिस ने ज्ञानवापी के सर्वे पर लागू स्टे को 1 दिन के लिए बढ़ा दिया। गुरुवार को 3.30 बजे मामले से जुड़े सभी पक्षों को कोर्ट के सामने पेश होने का आदेश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे पर 26 अप्रैल की शाम पांच बजे तक स्टे लगाया था। टॉप कोर्ट ने ये फैसला इस वजह से दिया था, क्योंकि उसका मानना था कि मस्जिद कमेटी को भी अपनी बात रखने का हक है।

बनारस की लोकल कोर्ट ने दिया था सर्वे का आदेश

ध्यान रहे कि वाराणसी की एक कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया था कि ज्ञानवापी का सर्वे करके ASI ये पता लगाए कि इसका निर्णाण कहीं काशी विश्वनाथ मंदिर के हिस्से को तोड़कर तो नहीं किया गया था। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने ये फैसला चार हिंदू महिलाओं की याचिका पर दिया था। चारों की मांग थी कि सर्वे का आदेश देकर कोर्ट सच का पता लगवाए। सर्वे का काम ASI की तरफ से किया जाना है। सर्वे में वजूखाना शामिल नहीं होगा।

हालांकि ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। टॉप कोर्ट ने कमेटी को कहा कि वो इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी याचिका दाखिल कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर बुधवार शाम पांच बजे तक रोक लगा दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट को आदेश दिया गया था कि वो मस्जिद कमेटी की अपील पर सुनवाई करे और फिर मेरिट के आधार पर इस मसले पर फैसला दे।

चीफ जस्टिस बोले कुछ गलत हुआ तो सर्वे को रुकवा भी सकते हैं

इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की कोर्ट में ये केस लगा था। चीफ जस्टिस ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी करवाकर अपना पक्ष रखने को कहा था। मस्जिद कमेटी का तर्क था कि सर्वे का फैसला इतनी जल्दी में क्यों लिया गया। उनका कहना था कि एक बार सर्वे की रिपोर्ट उनके प्रतिकूल आई तो मस्जिद को गिराया भी जा सकता है। उनका तर्क था कि हाईकोर्ट इस फैसले पर रोक लगाए।

हलफनामे में बोली ASI- आईआईटी कानपुर की लेंगे मदद

हालांकि ASI के अधिकारी शाम 4.30 बजे तक हाईकोर्ट में नहीं पहुंच सके। लेकिन उनकी तरफ से भेजे गए एक हलफनामे में कहा गया कि आईआईटी कानपुर की टीम के सहयोग से वो सर्वे का काम करें। वहां की टीम रडार और जीपी सर्वे के जरिये सच का पता लगाएगी। चीफ जस्टिस ने यहां तक कहा कि अगर कोर्ट को लगा कि ASI और सरकार ठीक काम नहीं कर रही है तो वो सर्वे को बीच में भी रुकवा सकती है।