21 जून को देश भर में रिकॉर्ड टीकाकरण के बाद से इसके संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। लगभग 60 प्रतिशत तक की गिरावट अब तक दर्ज की गयी है। बताते चलें कि 21 जून के बाद केंद्र ने टीका खरीदने के काम को अपने हाथ में ले लिया था। कई राज्य सरकारों की तरफ से वैक्सीन की कमी की बात की जा रही है।
पहले दिन 21 जून को करीब 91 लाख खुराकें दी गईं और 27 जून तक करीब 4 करोड़ खुराक लोगों को लगायी गयी। जबकि एक सप्ताह के बाद 5 जुलाई से 11 जुलाई की अवधि में केवल 2.3 करोड़ खुराक का वितरण किया गया। जनवरी में शुरू हुए अभियान के बाद से अब तक लगभग 38 करोड़ टीके देश में लगाए जा चुके हैं। 21 जून के बाद यह तय किया गया कि हर दिन 60 लाख टीके लगाए जाएंगे लेकिन यह अंतिम बार इस आंकड़ें तक 3 जुलाई को ही पहुंचा गया था। साल के अंत तक सभी वयस्कों को पूरी तरह से वैक्सीनेशन करने के लिए हर दिन 80 लाख डोज लगाने की जरूरत है।
देश के कई राज्यों में टीके की कमी: देश के कई राज्यों में टीकों की कमी का सामना किया जा रहा है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, दिल्ली, झारखंड और गुजरात में वैक्सीन की कमी की बात सामने आयी है।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि केंद्र से आवश्यकता के अनुरूप कोविड-19 रोधी टीकों की आपूर्ति नहीं होने के कारण लोगों को दूसरी खुराक देने में देरी हो रही है।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी मंगलवार को राज्य को कोविड-19 के टीकों की आपूर्ति बढ़ाने की मांग की, क्योंकि प्रदेश में अभी तक उसकी क्षमता के अनुरूप टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी मंगलवार को प्रधानमंत्री से कहा कि राज्य को उसकी जनसंख्या के अनुपात में कोविड-19 रोधी टीके की पर्याप्त खुराक नहीं मिली है जिससे टीके की कमी हो गई है। इसके साथ ही स्टालिन ने टीके की एक करोड़ खुराक की मांग की।
रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) ने मंगलवार को कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) सितंबर से अपने संयंत्रों में स्पुतनिक वैक्सीन का उत्पादन शुरू करेगा। आरडीआईएफ ने एक बयान में कहा, ‘‘एसआईआई के संयंत्रों में स्पुतनिक वैक्सीन के पहले बैच के सितंबर में तैयार होने की उम्मीद है।’’ बयान में कहा गया कि भारत में विभिन्न पक्ष हर साल स्पुतनिक-वी वैक्सीन की 30 करोड़ से अधिक खुराक का उत्पादन करना चाहते हैं।