मुंबई क्रूज ड्रग्स केस में NCB की तरफ से गवाह बनाए गए प्रभाकर सेल नाम के शख्स द्वारा जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के ऊपर करोड़ो रुपए की डील में शामिल होने का आरोप लगाए जाने के मामले की जांच शुरू कर दी गई है। एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल ज्ञानेश्वर सिंह खुद ही इस मामले की जांच कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर टीवी डिबेट के दौरान जब समीर वानखेड़े की पत्नी ने आरोप लगाने वाले गवाह के कोर्ट में न जाने को लेकर सवाल किया। तो डिबेट में मौजूद रहे शिवसेना नेता भड़क गए और कहने लगे कि ये इमोशनल ब्लैकमेल है।
रिपब्लिक टीवी चैनल पर अर्नब गोस्वामी के डिबेट शो में एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े की पत्नी क्रांति रेडकर ने कहा कि 15 साल की सेवा में उनके ऊपर न तो रिश्वत लेने के आरोप लगे और न ही किसी अन्य तरह के आरोप लगे हैं। उन्हें सिर्फ मेडल मिला है। लेकिन अचानक से वे लुटेरे हो गए. अगर वे लुटेरे हो गए तो पैसा कहां है। आपके पास इसको लेकर कोई सबूत है।
आगे क्रांति रेडकर ने कहा कि जब समीर के ऊपर लगे आरोपों की जांच विजिलेंस को सौंपी गई तो क्या उन्होंने इससे मना किया। वह जानते हैं कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। इसलिए उन्होंने कभी भी जांच से मना नहीं किया। क्रांति के इतना कहते ही शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने बीच में टोकते हुए कहा कि इस मामले में गवाह हैं जिनके पास इससे संबंधित सबूत हैं। आपको इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है।
शिवसेना नेता के इतना कहते ही क्रांति रेडकर ने कहा कि फिर तो गवाह को कोर्ट में आना चाहिए। उसे फोन और ट्विटर के ऊपर नहीं लड़ना चाहिए। ट्विटर इसके लिए नहीं बना है। इसके बाद क्रांति ने उनके एक बयान पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि ये बेहद ही घटिया बयान है। क्रांति रेडकर के इतना कहते ही शिवसेना नेता भड़क गए और कहने लगे कि ये इमोशनल ब्लैकमेल है। हालांकि इसके बाद दोनों एक दूसरे के ऊपर जमकर आरोप प्रत्यारोप करने लगे। जिसके बाद एंकर ने दोनों को चुप करा दिया।
बता दें कि पिछले दिनों आर्यन खान से जुड़े ड्रग्स मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की तरफ से गवाह बनाए गए प्रभाकर सेल ने एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े और दूसरे गवाह केपी गोसावी के खिलाफ मिलीभगत और पैसों के सौदे करने का आरोप लगाया था। प्रभाकर सेल ने अपने हलफनामे में कहा था कि वह केपी गोसावी का अंगरक्षक है। उसने केपी गोसावी और सैम डिसूजा नाम के शख्स के बीच 18 करोड़ के डील की बात सुनी है। जिसमें से 8 करोड़ एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े को दिए जाने थे।
समीर वानखेड़े के ऊपर आरोप लगने के बाद एनसीबी ने विजिलेंस जांच के आदेश दे दिए। एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल ज्ञानेश्वर सिंह खुद ही इस मामले की जांच कर रहे हैं। इस मामले में मुंबई एनसीबी के अधिकारियों ने दिल्ली स्थित एनसीबी मुख्यालय को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। इसी बीच मंगलवार को समीर वानखेड़े दिल्ली स्थित एनसीबी मुख्यालय भी पहुंचे।
