पिछले दिनों केंद्र सरकार ने दोनों सदनों से दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2021(एनसीटी) पारित करा दिया। इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद दिल्ली में कोई भी नियम कानून या योजना लाने से पहले उपराज्यपाल की सहमति लेनी होगी। इसी बिल पर चर्चा के दौरान एक टीवी डिबेट में जब भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह NCT बिल दिल्ली की जरूरत है तो वहीं मौजूद आप प्रवक्ता राघव चड्डा भड़क गए। राघव चड्डा ने कहा कि मोदी सरकार बैकडोर से दिल्ली की सत्ता पर कब्ज़ा करना चाहती है।
एनडीटीवी पर आयोजित डिबेट शो में जब एंकर संकेत उपाध्याय ने भाजपा प्रवक्ता ओ पी शर्मा से पूछा कि अगर केजरीवाल इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं तो आपको क्या आपत्ति है। इसका जवाब देते हुए ओ पी शर्मा ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच सामर्थ्य की लड़ाई पुरानी है। पहले जब भी मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच छिटपुट लड़ाईयां होती थी तो मामला सुलझ जाता था। लेकिन 2018 में जब यह झगड़ा कोर्ट में चला गया तो अदालत ने यह आदेश दिया कि उपराज्यपाल के अधिकारों की भी विवेचना की जाए।
आगे ओपी शर्मा ने कहा कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है। यहां केंद्र का वर्चस्व रहना ही चाहिए। लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार की यह समस्या है कि वह समन्वय नहीं कर पा रही है। यह बिल लाना केंद्र सरकार का संवैधानिक अधिकार है। टीवी डिबेट में ही मौजूद आप प्रवक्ता राघव चड्डा ने ओ पी शर्मा की बातों का जवाब देते हुए कहा कि यहां पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की कोई बात नहीं हो रही है। लेकिन पहले के मुख्यमंत्रियों को जो अधिकार मिलते थे वे अधिकार अरविंद केजरीवाल को भी मिलना चाहिए।
इसके अलावा राघव चड्डा ने कहा कि बीजेपी बार बार यह कह रही है कि इस कानून को लाना हमारा संवैधानिक अधिकार है। बीजेपी यह मान रही है कि हमारे पास बहुमत है और क़ानूनी अधिकार है कि हम दिल्ली सरकार की सभी शक्तियां छीन सकते हैं। आगे राघव ने कहा कि इन लोगों के पास बहुमत है और ये चाहें तो देश के संविधान को भी बदल सकते हैं।
बता दें कि इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद चुनी हुई सरकार की तुलना में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि-लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास ज्यादा शक्तियां होगी। दिल्ली में कोई भी नियम कानून या योजना लाने से पहले उपराज्यपाल की सहमति लेनी होगी। ऐसे में अगर कोई योजना लटकती है तो दिल्ली और उपराज्यपाल आमने-सामने होंगे। कहा यह भी जा रहा है कि जिस तरह 2018 से पहले कई बार दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव के हालत बने थे वैसे ही हालात फिर से बन सकते हैं।