भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भले ही कहता रहे कि यूपी में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन यह सवाल तो उठता ही है कि क्या टॉप ब्यूरोक्रेट एक शर्मा महज एमएलसी बनाए जाने के लिए यूपी की राजनीति में लाए गए हैं? शायद नहीं। राजनीति ज्वाइन करने वालों का इतिहास देखें तो पाएंगे कि इस बिरादरी के लोग हमेशा बड़े ओहदों पर ही विराजमान हुए हैं।

यूपी में अगले साल चुनाव हैं। यह कहना भी गलत न होगा कि कोरोना ने सत्ताधारी होने के कारण भाजपा की छवि को ही सर्वाधिक नुकसान किया है। भाजपा चिंतित है। वह जमीनी हकीकत जानने के लिए एक के बाद दूसरा पर्यवेक्षक लखनऊ भेज रही है। पहले संघ में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले दत्तात्रेय होसबोले आए थे। फिर राष्ट्रीय महासचिव बीएएल संतोष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधामोहन सिंह एक साथ आ पहुंचे और एक-दो नहीं पूरे तीन दिन तक मंत्रियों, पदाधिकारियों और असंतुष्टों से मुलाकात करते रहे।

सियासी पंडित कयास लगा रहे थे कि संतोष और राधामोहन जब अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपेंगे तो यूपी में कुछ बड़े बदलावों की घोषणा होगी। लेकिन, ऐसा होने के बजाए पार्टी नेता बयान पर बयान देने लगे कि यूपी में कोई बदलाव नहीं होगा। भाजपा में शायद ही कोई बड़ा नेता हो जो यूपी में नया मुख्यमंत्री बिठाए जाने की सोच रहा हो। योगी आदित्यनाथ भाजपा के लिए कीमती हैं। वे हर राज्य के चुनाव में बाहैसियत स्टार प्रचारक भाग लेते हैं।

तो क्या यूपी में सब चंगा है? यह बात तो अंदरखाने की बातचीत में भाजपा के कई नेता भी नहीं मानते। लेकिन बहुत बड़े बदलाव समस्याओं को भी जन्म देते हैं। भाजपा नहीं चाहती कि 2022 के चुनाव से पहले उसे नई समस्याओं का सामना करना पड़े। इसीलिए, जानकार सूत्र बताते हैं कि बदलाव तो होंगे लेकिन बस नए समीकरण फिट करने के लिए। साफ कहा जाए तो जातीय समीकरण फिट करने के लिए। मसलन, यह बात, भले ही झूठी हो, जनता के बीच चल रही है कि ब्राह्मणों का कोई पुरसा हाल नहीं। कहने की आवश्यकता नहीं इस बिंदु पर आइएएस से नेता बने एके शर्मा बहुत बढ़िया फिट हो जाते हैं।

तो, आने वाले कल में शर्मा जी का पद क्या होगा? इसका उत्तर अभी किसी के पास नहीं। पहले यह सुनाई दे रहा था कि स्वतंत्र देव सिंह से भाजपा अध्यक्ष का पद लिया जा सकता है और उनकी जगह केशवदेव मौर्य फिर बिठाए जा सकते हैं। मौर्य इस वक्त उपमुख्यमंत्री हैं। सो, माना जा रहा था कि एके शर्मा योगी जी के डिप्टी बनाए जा सकते हैं। लेकिन, ताजा जानकारियों के मुताबिक यह अनुमान खारिज हो जाता है। कहा जा रहा है कि स्वतंत्र देव अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे और विधानसभा चुनाव उनकी और योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में ही लड़ा जाए।

तो फिर शर्मा जी का पद क्या होगा? सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में कोई फैसला कोविड संक्रमण के और कम होने के बाद लिया जाएगा। हो सकता है कि कोई फैसला जुलाई में हो। दरअसल, जुलाई में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा लखनऊ आ रहे हैं। वे एक बार फिर हालात का जायजा लेंगे और तब शर्मा जी के लिए कोई ऐसी मुफीद कुर्सी तय की जाएगी जिससे पार्टी को चुनावों में फायदा भी पहुंचे।