हरियाणा में कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत का दौर लंबा चला लेकिन दोनों दल डील फाइनल न कर सके। गठबंधन को लेकर कई दौर की बातचीत के बाद सोमवार को आखिरकार आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की बीस विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। यह हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी की पहली लिस्ट है।

आम आदमी पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पार्टी के एक प्रभावशाली नेता ने गठबंधन की संभावनाओं पर पानी फेर दिया जबकि राहुल गांधी दोनों पार्टियों के गठबंधन को लेकर इच्छुक थे। दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के नेताओं की तरफ से बताया गया कि मतभेद पसंदीदा सीटों को लेकर थे। 

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कांग्रेस के बड़े नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा शुरू से आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के विरोध में थे। वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी चाहते थे कि इंडिया गठबंधन में एकता का मैसेज देने के लिए केजरीवाल की पार्टी से गठबंधन किया जाएगा। कांग्रेस आलाकमान हरियाणा में सपा को भी अपने साथ लेना चाहता था और उसे एक या दो सीटें देने पर विचार कर रहा था।

दिल्ली विधानसभा चुनाव पर होगा असर?

रिपोर्ट में दोनों पार्टियों के नेताओं के हवाले से कहा गया है कि हरियाणा में गठबंधन न हो पाने का असर दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आप-कांग्रेस के साथ आने की संभावनाओं पर पड़ेगा। आम आदमी पार्टी नेताओं की मानें, पार्टी जल्द ही दूसरी लिस्ट जारी करेगी जबकि कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उनकी पार्टी भी जल्द ही अगली सूची जारी करेगी।

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सोमवार को जब आप ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया तो कांग्रेस की तरफ से रणनीतिक चुप्पी बना ली गई। कांग्रेस नेता और हरियाणा के इंचार्ज दीपक बाबरिया ने कहा कि वो अस्वस्थ हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। वह आप से गठबंधन पर बात कर रहे थे। सूत्रों ने बताया कि आप पहले दस से पंद्रह सीटें डिमांड कर रही थी, हालांकि बाद में उसने कांग्रेस से कहा कि अगर उसे पंसद की सीटें दी जाएं तो वह पांच से सात विधानसभाओं पर मान सकती है। वहीं कांग्रेस कलायत, पेहोवा, जींद, गुहला और सोहना जैसी सीटें छोड़ने को इच्छुक नहीं थी, जिन्हें आप मांग रही थी।

द इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस की तरफ से उसे कमजोर सीटें दी जा रही थीं। बातचीत के दौरान आप की तरफ से वार्ता कर रहे राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कांग्रेस को अलग-अलग सीटें दीं, लेकिन दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पाई। आम आदमी पार्टी के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि एक सीनियर कांग्रेस नेता ने बातचीत को यह कहकर कथित तौर पर ट्रैक से उतार दिया कि जो सीटें आप डिमांड कर रही है, उनपर कोई बातचीत ही नहीं की जा सकती। इसी वजह से दोनों दल सीटों पर राजी नहीं हो सके।