हरियाणा सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए हिसार में सुरक्षा बढ़ा दी है। सरकार की तरफ से RAF के 3 हजार जवानों को तैनात किया गया है। पिछले नवंबर में केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान 300 से अधिक किसानों के खिलाफ प्रशासन की तरफ से आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे। उन मामलों को खत्म करने की मांग को लेकर सोमवार को किसान वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के आवास पर धरना देने की तैयारी में हैं।

हालांकि किसानों का कहना है कि 24 मई को होने वाला प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा। लेकिन अगर पुलिस उनके साथ ज्यादती करती है तो वो कड़े कदम उठाएंगे। जैसा व्यवहार प्रशासन की तरफ से किया जाएगा हम भी वैसा ही करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के नेता ने आजाद पालवां ने मीडिया से कहा कि किसानों के साथ जो बातचीत हुई थी उस समझौते के बाद भी प्रशासन ने विभिन्न धाराओं के तहत किसानों पर मामले दर्ज किए हैं।

इधर देश के 12 प्रमुख विपक्षी दलों ने केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के छह महीने पूरे होने के मौके पर 26 मई को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत देशव्यापी प्रदर्शन को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। एक संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई है।

बयान पर सोनिया गांधी (कांग्रेस), एच डी देवेगौड़ा (जद-एस), शरद पवार (राकांपा), ममता बनर्जी (टीएमसी), उद्धव ठाकरे (शिवसेना), एम के स्टालिन (द्रमुक), हेमंत सोरेन (झामुमो), फारूक अब्दुल्ला (जेकेपीए), अखिलेश यादव (सपा), तेजस्वी यादव (राजद), डी राजा (भाकपा) और सीताराम येचुरी (माकपा) ने हस्ताक्षर किये हैं।

बयान में कहा गया है, ”हमने 12 मई को संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था: ”महामारी का शिकार बन रहे हमारे लाखों अन्नदाताओं को बचाने के लिये कृषि कानून निरस्त किये जाएं ताकि वे अपनी फसलें उगाकर भारतीय जनता का पेट भर सकें।” बयान के अनुसार, ”हम कृषि कानूनों को तत्काल निरस्त करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सी2+ 50 प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अमलीजामा पहनाने की मांग करते हैं।” बयान में यह भी कहा गया है कि केन्द्र सरकार को अहंकार छोड़कर तत्काल संयुक्त किसान मोर्चा से वार्ता शुरू करनी चाहिये।