हरियाणा चुनाव को लेकर इस बार जबरदस्त माहौल बना हुआ है। लगातार दो बार इस राज्य में बीजेपी ने अपनी सरकार जरूर बनाई है, लेकिन अब तमाम चुनौतियां इस मुकाबले में कांग्रेस की उपस्थिति को भी मजबूत करने का काम कर रही है। मुकाबला पूरी तरह बीजेपी बनाम कांग्रेस का बना हुआ है जहां पर इंडियन नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी स्थानीय पार्टी की भूमिका निभा रही हैं। इस बार चुनाव में कई ऐसे सियासी मुद्दे बन चुके हैं जो किसी भी पार्टी के लिए हार-जीत तय कर सकते हैं। बात चाहे अग्निवीर की हो या फिर किसान आंदोलन की, बात चाहे रेसलरों के संघर्ष की हो या फिर जाटों की नाराजगी, हर मुद्दा सियासी है और उस पर हो रही राजनीति चरम पर है।
हरियाणा की जब भी बात की जाती हैं, तो कुछ ऐसी सीटें जरूर रहती हैं जिन्हें हाई प्रोफाइल की कैटेगरी में रखा जा सकता है। यह वो सीटें जहां पर मुकाबला भी कड़ा रहता है और उन सीटों का नतीजा दूसरी कई आसपास की सीटों पर भी अपना प्रभाव रखता है। ऐसी ही कुछ सीटों पर नजर डालते हैं-
अंबाला कैंट सीट
हरियाणा के रण में अंबाला कैंट सीट को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 1967 में अस्तित्व में इस सीट पर बीजेपी का तगड़ा जोर देखने को मिलता है। पार्टी के दिग्गज नेता अनिल विज पांच बार लगातार इसी सीट से चुनाव जीत चुके हैं। पिछली बार भी उन्होंने ही जीत का परचम लहराया था। अगर पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे की बात करें तो अंबाला कैंट सीट पर अनिल विज को 64571 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के वेदु सिंगल को 57948 वोट हासिल हुए थे। इसी तरह आईएनएलडी के चित्रा सरवारा को 52017 वोट मिले थे।
लाडवा सीट
हरियाणा की लाडवा सीट भी इस बार चर्चा का विषय बनी हुई है। उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी को लेकर कहा जा रहा है कि वह इस सीट से ताल ठोक सकते हैं। अगर ऐसा हो जाता है तो इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा और दिलचस्प बन जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछली बार कांग्रेस ने बीजेपी को इस सीट पर एक बड़े अंतर से हरा दिया था। लाडवा सीट की बात करें तो यह कोई बहुत पुरानी नहीं है। 2008 में परिसीमन के बाद यह अस्तित्व में आई थी। अगर 2008 में आईएनएलडी ने इस सीट से जीत का खाता खोला था तो 2014 के रण में बीजेपी के पवन सिंह ने जीत हासिल की। लेकिन 2019 आते-आते सीट पर समीकरण बदले और कांग्रेस ने इस सीट पर जीत का परचम लहरा दिया।
हर हाल में हरियाणा जीतना चाहती है बीजेपी!
करनाल सीट
हरियाणा की करनाल सीट किसी परिचय की मोहताज नहीं है। इस सीट से वर्तमान में नायब सैनी विधायक हैं जो राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं। बड़ी बात यह है जिन मनोहर लाल खट्टर की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया, वे खुद भी दो बार से करनाल सीट से विधायक रह चुके हैं। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में मनोहर लाल खट्टर ने इसी करनाल सीट से बड़ी जीत हासिल की थी। चुनावी आंकड़े बताते हैं चार बार बीजेपी तो चार बार कांग्रेस को भी इस करनाल सीट पर जीतने का मौका मिला है। यह देखना दिलचस्प होगा कि करनाल सीट से बीजेपी किसे उतरती है। पिछले विधानसभा चुनाव नतीजे की बात करें तो करनाल में मनोहर लाल खट्टर को 79906 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के तरलोचन सिंह को 34718 वोट हासिल हुए। इसी तरह तीसरे नंबर पर जेजेपी के तेज बहादुर रहे जिन्हें मात्र 3192 वोटो से संतुष्ट होना पड़ा।
इसराना सीट
पानीपत के अंतर्गत आने वाली इसराना विधानसभा सीट पर भी इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस चुनाव में भाजपा किसी बाहरी को इस सीट से चुनाव लड़वा सकती है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर समीकरण 2019 में ही बदल गए थे जब जब कांग्रेस ने यह सीट बीजेपी से छीन ली थी। असल में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बालवीर वाल्मीकि ने 20000 करीब वोटो से बीजेपी के दिग्गज नेता कृष्ण लाल पंवार को हरा दिया था। यह नहीं भूलना चाहिए कि कृष्ण लाल पंवार मनोहर सरकार की पहली सरकार में कैबिनेट के परिवहन मंत्री थे। वर्तमान में भी कृष्ण लाल राज्यसभा सांसद हैं, ऐसे में बीजेपी को किसी दूसरे उम्मीदवार की तलाश है।
गन्नौर सीट
हरियाणा की गन्नौर सीट जाट बाहुल मानी जाती है। ब्राह्मण वोटरों की उपस्थिति भी इस सीट पर निर्णायक रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के निर्मल चौधरी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को बड़े अंतर से हरा दिया था। यह वही सीट हैं जहां पर 2014 में कांग्रेस के कुलदीप शर्मा ने जीत हासिल की थी। यह सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी।
उचाना कलां सीट
हरियाणा की उचाना कलां सीट पर दुष्यंत चौटाला की जबरदस्त पकड़ मानी जाती है। 2019 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से दुष्यंत चौटाला ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा की प्रेमलता को 40000 से भी ज्यादा बड़े अंतर से हरा दिया था। 2014 के मुकाबले में बीजेपी की प्रेमलता ने ही दुष्यंत चौटाला को हराने का काम किया था। ऐसे में इन दोनों ही दिग्गजों की इस सीट पर तगड़ी लड़ाई देखने को मिलती है।
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होडल सीट
हरियाणा की होडल विधानसभा सीट कांग्रेस और आईएनएलडी की मजबूत गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर तीन बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं लेकिन एक बार भी बीजेपी को खाता खोलने का मौका नहीं मिला। यह बड़ी बात है क्योंकि जिस पार्टी ने लगातार दो बार से हरियाणा में सरकार बनाई, वो इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर पा रही है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर मुकाबला हमेशा कांग्रेस और आईएनएलडी के बीच में ही देखने को मिल जाता है। यह सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता उदय भान की वजह से भी चर्चा में रहती है। 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस को इस सीट पर जीते भी दिलाई थी लेकिन 2019 के चुनाव में वे खुद यह सीट हार गए थे। दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर दो बार उदय भान को हार का सामना करना पड़ा है और दोनों बार ही उन्हें INLD के जगदीश नायर ने हराने का काम किया है।
दादरी सीट
हरियाणा की दादरी सीट भी इस बार चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सियासी बाजार में ऐसी अटकलें चल पड़ी है कि विनेश फोगाट भी चुनावी मैदान में इस बार उतार सकती हैं और अगर उन्होंने अपना सियासी डेब्यू किया तो वे दादरी सीट से ऐसा कर सकती हैं। समझने वाली बात यह है 2019 के विधानसभा चुनाव में इसी दादरी सीट से बीजेपी की बबीता फोगाट ने जीत हासिल की थी। वही 2014 के चुनाव में इनेलो के राजदीप ने इसी दादरी सीट पर बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।
हरियाणा के बड़े मुद्दे
हरियाणा चुनाव में कई ऐसे मुद्दे इस बार सुर्खियां बटोर रहे हैं। यह सारे वो मुद्दे हैं जिन पर सियासत जमकर हो रही है, माना जा रहा है कि कई मुद्दे इस बार हार-जीत भी तय कर जाएंगे। अग्निवीर से लेकर किसानों के मुद्दे, रेसरल से लेकर बेरोजगी के मुद्दे पर इस बार का चुनाव लड़ा जा रहा है।
अग्निवीर मुद्दा
हरियाणा चुनाव में इस बार कई बड़े मुद्दे देखने को मिल रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा अग्निवीर की हो रही है। हरियाणा से देश की सेना में कई जवान निकलते हैं। इसी वजह से अग्नि वीर योजना को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा भी इसी राज्य में देखने को मिली है। विपक्ष की तरफ से आरोप लगाया जाता है इस योजना की वजह से युवाओं के साथ भेदभाव हो रहा है, सेना में उन्हें उचित स्थान नहीं मिल पा रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो लोकसभा चुनाव के दौरान से ही इस मुद्दे को जिस ढंग से उठाया है, उस वजह से कई बार बीजेपी बैक फुट पर देखी है। वैसे डैमेज कंट्रोल करते हुए केंद्र सरकार ने BSF-CISF में अग्निवीरों को मिलेगा 10% आरक्षण देने के फैसले को मंजूरी दे दी है।
रेसलरों का मुद्दा
हरियाणा चुनाव में इस बार रेसलरों का मुद्दा भी बीजेपी के लिए एक बड़ी सिरदर्दी बन चुका है। कहने को विनेश फोगाट का ओलंपिक में हारना राजनीति से जुड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन क्योंकि ऐसी अटकलें चल पड़ी है कि फोगाट भी अपना सियासी डेब्यू कर सकती हैं, इस वजह से हरियाणा में यह भी एक मुद्दा बनता हुआ दिख रहा है। इसके ऊपर जिस तरह से विनेश फोगाट खुद अब किसानों का मुद्दा उठा रही हैं, बीजेपी इसे अपने लिए शुभ संकेत नहीं मानती। इसके ऊपर हरियाणा को क्योंकि पहलवानों की धरती भी माना जाता है, इस वजह से बृजभूषण विवाद की छाप भी यहां पर देखने को मिल सकती है।
किसानों का मुद्दा
किसानों का मुद्दा भी इस बार के हरियाणा चुनाव में अहम रहने वाला है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि किसानों का एक बड़ा वर्ग बीजेपी से नाराज है। पहले तो तीन कृषि कानून की वजह से जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिल चुका है, हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी जिस तरह से कुछ भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ किसानों ने अपनी आवाज बुलंद की थी, यह बताने के लिए काफी रहा कि जमीन पर नाराजगी अभी काम नहीं हुई है। बड़ी बात यह है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी ने फसलों पर एमएसपी देने का ऐलान जरूर किया है, लेकिन किसानों का आरोप है कि जिन फसलों पर एमएसपी देने की बात हो रही है, उनमें कई ऐसी फसले हैं जो हरियाणा में उगाई तक नहीं जाती। इसी वजह से किसानों का मुद्दा भी इस बार निर्णायक रहने वाला है।