कोविड टीकाकरण की पहली सालगिरह पर स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सफलता के लिए जनभागीदारी को कारक बताया था। ये बात खुद पीएम मोदी भी कई बार कह चुके हैं कि लोकतंत्र को ताकतवर बनाने के लिए लोगों की एकजुटता अहम है।

डॉ. संजय कपूर लिखते हैं कि मुझे भी ये बात सही लगती है। मेरा मानना है कि कई लोगों के एक साथ आने का मतलब सफलता है। इनमें हेल्थकेयर प्रोफेशनल्ज, वैज्ञानिक, वैक्सीन निर्माता, डेवलपमेंट पार्टनर, लोकल लीडर्स, फ्रंटलाईन हेल्थ वर्कर्स ने भारत सरकार के झंडे तले 2 अरब से ज्यादा वैक्सीन समय पर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाईं। मुझे इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़ने का फख्र है।

मोमेंटम रूटीन इम्युनाईजेशन ट्रांसफार्मेशन एंड इक्विटी प्रोजेक्ट लोगों को वैक्सीन के प्रति जागरूक करने के लिए बहुत सी कोशिशें कर रहा है। USAID और भारत सरकार के सहयोग से जॉन स्नो इंडिया प्रा. लि. वैक्सीन के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है। ये प्रोजेक्ट भारत के 18 सूबों में चलाया जा रहा है। इसकी वजह से वैक्सीन समय पर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाई जा सकीं।

वैक्सीन ड्राईव जब शुरू की गई तब बहुत से क्षेत्र ऐसे थे जहां पहुंचने में दुश्वारी हो रही थी। आदिवासी हों या फिर ट्रांसजेंडर। गर्भवती महिलाओं हो या फिर दिव्यांग और वृद्ध। सभी तक वैक्सीन पहुंचाने और उन्हें इसके लिए मनाने की दिशा में प्रोजेक्ट ने अहम भूमिका अदा की। बहुत से लोगों ने अपने अपने तरीके से वैक्सीन को जरूरतमंदों तक पहुंचाने में रोल अदा किया।

छत्तीसगढ़ में एक ट्रांसजेंडर कंचन सेंदरे ने प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में काफी मदद की। उन्होंने अपने साथियों का भरोसा जीतने के लिए महीनों तक काम किया। इस तबके के लोगों के बीच कोरोना से ज्यादा डर वैक्सीन को लेकर था। समुदाय के बहुत से लोग सेक्स चेंज की दवाएं लेते हैं। वो वैक्सीन लेने से बचते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि इसके साईड इफैक्ट हैं।

सेंदरे ने इन लोगों की काउंसलिंग की और टीके के प्रति जागरूक किया। उन्हें वैक्सीन दीदी का नाम मिला। इसी तरह पंजाब में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने स्वर्ण मंदिर में आने वाले लोगों के लिए वैक्सीन को अनिवार्य करके मदद की। मप्र में एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक Taj-Ul मस्जिद ने अपना योगदान दिया। उनकी तरफ से जागरूकता को लेकर कैंप लगाए गए, जिनमें सूबे के कोने कोने से 400 धार्मिक नेताओं ने शिरकत की।

असम में एक नए तरह का प्रयोग देखने को मिला। ‘Wellness on Wheels’ के तहत एक गाड़ी टीका लगाने वाले लोगों को सूबे के हर हिस्से में लेकर गई। इसके तहत 12 सौ गांवों में 51 हजार टीके लगाए गए। कुल मिलाकर कोरोना वैक्सीन को लेकर आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान जनभागीदारी की अनूठी मिसाल देखने को मिली। इसकी वजह से ही भारत को पोलियो और टीबी को खत्म करने में मदद मिली।

यूपी में बुलावा टोली पोलियो को खत्म करने में कारक बनी। बच्चों का समूह जोर जोर से आवाज लगाता था कि पोलियो का टीका लगवा लो। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में भी भागीदारी की अनूठी मिसाल दिखी। 9 सितंबर को ये अभियान शुरू किया गया था। तब से लेकर अभी तक 10.5 लाख लोग टीबी से जुड़ी दवाएं व टीके ले चुके हैं। टीबी जड़ से खत्म हो सके इसके लिए 33 हजार से ज्यादा लोग Ni-kshay Mitras बन चुके हैं। सारे घटनाक्रम में देखा गया कि जनता की सेहत के मामले में तरीके अलग हो सकते हैं पर जनभागीदारी बेहद अहम है।

Disclaimer: मोमेंटम रूटीन इम्युनाइजेशन ट्रांसफारमेशन एंड इक्विटी प्रोजेक्ट को भारत में जॉन स्नो इंडिया प्रा. लि. ने लागू किया है। USAID का इसे सपोर्ट है। भारत सरकार ने भी प्रोजेक्ट को अपनी मंजूरी दी है। प्रोजेक्ट का ध्येय सरकार की उन लोगों तक पहुंचने में सहायता करना है जो वैक्सीन लेने से हिचकते हैं। हाशिए पर मौजूद इन लोगों को देश के 18 सूबों में वैक्सीन दी जानी है। इसके लिए स्वयं सेवी संगठनों से तालमेल कर प्रोग्राम को आगे बढ़ाया जा रहा है। (विज‍िट करें: https://usaidmomentum.org/)