गुजरात के पाटन स्थित धारपुर में गुजरात मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च सोसाइटी (GMERS) मेडिकल कॉलेज के छात्र 18 वर्षीय अनिल मेथानिया की मौत हो गई। अनिल मेथानिया कच्छ के जेसदा गांव का था और 18 वर्ष का था। शोक मनाने के लिए रिश्तेदारों के इकट्ठा होने से घर में सन्नाटा छा गया है। अनिल मेथानिया ने अपनी मृत्यु से बमुश्किल एक महीने पहले 14 अक्टूबर को कॉलेज ज्वाइन किया था।

बिना कोचिंग के अनिल ने हासिल किए 550 मार्क्स

अनिल मेथानिया पढ़ने में काफी तेज था। उसने बिना कोई कोचिंग क्लास लिए NEET में 550 अंक हासिल किए थे। 16-17 नवंबर की रात को उसके हॉस्टल में उसके सीनियर्स द्वारा कथित तौर पर रैगिंग किए जाने के बाद उसकी मौत हो गई। लगभग चार घंटे तक खड़े रहने के बाद 16 नवंबर की देर रात अनिल कथित तौर पर बेहोश हो गए। गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने के अलावा मेडिकल कॉलेज ने अपनी एंटी-रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट के बाद अनिल के 15 सीनियर छात्रों को निलंबित कर दिया है।

बालिसाना पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर पी जे सोलंकी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “द्वितीय वर्ष के सभी 15 छात्रों को गिरफ्तार कर लिया गया है।” वहीं परिवार का कहना है कि अनिल सुरेंद्रनगर के ध्रांगध्रा तालुका में 5,000 की अनुमानित आबादी वाले एक छोटे से गांव जेसदा का एकमात्र छात्र था, जिसने कठिन मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की थी।

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इकलौता बेटा था अनिल

तीन भाई-बहनों में सबसे छोटा अनिल मेथानिया 56 वर्षीय किसान नटवरभाई और 53 वर्षीय गीताबेन का इकलौता बेटा था। अनिल की बड़ी बहन शीतल (जिनकी 2019 में शादी हुई) ने विज्ञान और शिक्षा में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, जबकि निधि एक फिजियोथेरेपिस्ट हैं। अनिल छोटी बहन निधि की फरवरी में होने वाली शादी को लेकर बहुत उत्साहित थे। 28 वर्षीय शीतल ने बताया कि उन्होंने सभी तैयारियों में मदद करने का वादा किया था।

जेसदा से 20 किमी दूर ध्रांगध्रा के एक निजी स्कूल से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद अनिल के पिता ने उन्हें गांव से लगभग 50 किमी दूर हलवद में विवेकानन्द विज्ञान अकादमी साधना विद्यालय में दाखिला दिलवा दिया। कक्षा 9 और 10 में अनिल अपनी बहन शीतल और जीजा हिरेनभाई के साथ ध्रांगध्रा में रहता था। हिरेनभाई ने कहा, “वह लगभग दो वर्षों तक हमारे साथ रहे। इतने समय में उन्होंने कभी कुछ नहीं मांगा। हालांकि हम जानते थे कि वह घूमने का शौकीन था और उसे पिज़्ज़ा बहुत पसंद था। उनकी आखिरी यात्रा शिमला की थी।”

शुरू से डॉक्टर बनने की चाहत रखते थे अनिल

अनिल के चचेरे भाई 23 वर्षीय गौतम मेथानिया ने कहा, “जब 10वीं कक्षा में थे, तब अनिल ने मन बना लिया था कि वह डॉक्टर बनना चाहते हैं। वह एक मेधावी छात्र था। उन्होंने कोई कोचिंग क्लास नहीं ली लेकिन फिर भी वह नीट क्रैक करने में सफल रहे। उन्होंने NEET में 550 और GUJCET (गुजरात कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) में 90.57 प्रतिशत अंक हासिल किए।” अनिल के पिता कहते हैं कि उनके मेहनती बेटे का एक ही सपना था – ‘अपने परिवार को गौरवान्वित करना’। नटवरभाई कहते हैं, “अगर उनके सपने को पूरा करने के लिए मुझे अपनी ज़मीन बेचनी पड़ती, तो मैं ऐसा दिल से करता। जब हमारी आखिरी बार बात हुई थी तो वह बिल्कुल ठीक थे। वह स्वस्थ थे और उन्होंने कभी भी स्वास्थ्य संबंधी किसी समस्या की शिकायत नहीं की। उनका कभी भी कोविड टेस्ट पॉजिटिव नहीं आया। कॉलेज में प्रवेश के समय (सितंबर में) उनकी सभी मेडिकल रिपोर्ट सामान्य थीं।”

80 बीघे के मालिक किसान नटवरभाई कहते हैं कि उन्होंने अनिल के पहले सेमेस्टर की फीस के रूप में 6 लाख रुपये का भुगतान किया था। वह कहते हैं, “मेरी पत्नी, निधि और मैं उसे 14 अक्टूबर को उसके हॉस्टल तक छोड़ आए।” परिवार ने आखिरी बार अनिल से 16 नवंबर की शाम को बात की थी। उन्होंने कहा, “हमने शनिवार (16 नवंबर) को शाम करीब 7.30 बजे बात की थी। वह हमें रोजाना शाम को फोन करते थे। वह खुश लग रहे थे और उन्होंने सभी से बात की।”

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पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार

नटवरभाई ने कहा, “रात 12.15 बजे (17 नवंबर को) जीएमईआरएस कॉलेज के एक रेजिडेंट डॉक्टर ने मुझे फोन किया। उन्होंने कहा कि अनिल बेहोश हो गया था और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हम कॉलेज पहुंचे। हम सुबह करीब 4 बजे वहां पहुंचे। अस्पताल में एक डॉक्टर ने हमें बताया कि अनिल अब नहीं रहे। बाद में परिवार को एक बैठक में भाग लेने के लिए कहा गया, जहां डीन, पुलिस, प्रथम वर्ष के छात्र और सीनियर्स मौजूद थे। बैठक तब समाप्त हुई जब यह पता चला कि अनिल तीन घंटे तक रैगिंग के बाद बेहोश हो गया था। उसे खड़े रहने के लिए मजबूर किया गया था। उसे परिसर के अस्पताल में ले जाया गया, जहां मृत्यु हो गई।” पोस्टमॉर्टम के बाद अनिल का शव 17 नवंबर को सुबह 11.30 बजे के आसपास परिवार को सौंप दिया गया। हालांकि, पुलिस को अभी तक मौत के कारणों की जानकारी नहीं मिली है। अनिल के परिवार ने भी पुष्टि की कि उन्हें सोमवार देर रात तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली है।

इंस्पेक्टर सोलंकी ने पुष्टि की कि मौत के कारण का इंतजार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक विशेषज्ञ शव परीक्षण करने वाले पैनल के निष्कर्षों के आधार पर मौत का कारण बताएगा। जबकि जीएमईआरएस सोसायटी के अंतरिम मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) डॉ. मनीष रामावत कहते हैं, “हमारे पास पहले से ही प्रोटोकॉल है। साथ ही सभी मेडिकल कॉलेजों (सोसायटी द्वारा संचालित) में एंटी-रैगिंग समितियां और छात्रों के लिए एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन हैं।इसके अलावा हमने सभी डीन को अधिक सतर्क रहने के लिए कहा है, खासकर प्रवेश के बाद रैगिंग की घटनाओं को रोकें।”

हालांकि छात्रों को प्रवेश के समय शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है कि वे रैगिंग में शामिल नहीं होंगे, लेकिन पूरे गुजरात और भारत के मेडिकल कॉलेजों से ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं। अभी छह महीने पहले ही गुजरात हाई कोर्ट ने रैगिंग पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की थी।

छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

इस बीच अनिल के परिवार ने जिम्मेदार छात्रों और कॉलेज प्रशासन दोनों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है। अनिल के पिता ने कहा, “हमारी तरह किसी और को अपना बच्चा नहीं खोना चाहिए। हमें पता था कि मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग होती है, लेकिन सभी नियमों के लागू होने के बाद हमने मान लिया कि अब तक यह बंद हो चुका है। इसलिए हमने कभी अनिल से इसके बारे में नहीं पूछा या उससे इसके बारे में नहीं सुना।”

अनिल के चचेरे भाइयों में से एक 32 वर्षीय संदीप का कहना है कि इस घटना ने लोगों को अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए चिंतित कर दिया है। वह कहते हैं, “घटना के बाद से लोग कह रहे हैं कि उन्हें (उनके बच्चों को) जीवित रहने के लिए खेती कराना ही बेहतर है। अनिल की मौत के लिए जिम्मेदार वरिष्ठ छात्रों को निष्कासित किया जाना चाहिए। साधारण निलंबन से काम नहीं चलेगा। वास्तव में उन्हें देश या विदेश में कहीं भी प्रवेश लेने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।”