उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान उत्तर प्रदेश में हुए हिंसक प्रदर्शन के पीछे पीएफआई का हाथ होने की बात सामने आने के बाद सरकार ने इस संगठन को बैन करने की तैयारी में है। बता दें कि पीएफआई एक चरमपंथी इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है जिसका गठन साल 2006 में हुआ था। यह संगठन नेशनल डेवेलपमेंट फ्रंट के एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा केंद्रीय एजेंसियों और गृह मंत्रालय (MHA) को दिए गए इनपुट्स के मुताबिक पीएफआई नागरिकता संशोधित कानून को लेकर हो रहे प्रदर्शन के दौरान शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़ और सीतापुर क्षेत्र में सक्रिय था।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को पीएफआई के चार सदस्यों को मेरठ से गिरफ्तार किया। पुलिस ने इन चारों को नागरिकता संशोधित कानून के दौरान हुए हिंसक प्रदर्शन में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल होने के आरोप में पुलिस ने अबतक कुल 25 पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इससे पहले यूपी पुलिस ने लखनऊ के तीन पीएफआई सदस्यों और शामली से 18 सदस्यों को गिरफ्तार किया था।

इनपुट्स के मुताबिक पीएफआई कार्यकर्ता गांवों में जाते थे और मुस्लिम लोगों को भड़काते थे। इसके अलावा वो लोग भड़काऊ पर्चे और किताबें भी बांटते थे। वितरित करते हैं। बताया जा रहा है कि पीएफआई के सदस्यों को कैराना ईदगाह में मुस्लिमों को हिंसा के लिए उकसाने के लिए गिरफ्तार किया गया।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों को यह भी बताया है कि एक प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु ने मुजफ्फरनगर और मेरठ में भारतीय विरोधी विचारों का प्रचार किया और उसे भी गिरफ्तार किया गया है।

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