Godhra Train Burning Case: बिलकिस बानो केस के दोषियों को माफी गुजरात सरकार के स्टैंड के बाद ही मिली। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उनको माफी दी जा सकती है, लेकिन गोधरा ट्रेन बर्निंग केस के दोषियों के मामले में सरकार का स्टैंड अलग है। सरकार का मानना है कि इन लोगों को माफी नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि ये रेयर ऑफ रेयरेस्ट केस है। दोषियों को टाडा के तहत भी दोषी माना गया है। लिहाजा इन लोगों को किसी तरह से माफी नहीं दी जा सकती।
गुजरात सरकार ने कहा, इन लोगों को किसी भी लिहाज से माफी नहीं मिल सकती
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेपी परदीवाला और जस्टिस पीवी नरसिम्हा की बेंच के समक्ष गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन लोगों को किसी भी लिहाज से माफी नहीं मिलनी चाहिए। उनका कहना था कि गोधरा कांड में 59 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी। जलती ट्रेन की बोगी से लोग बाहर न आ सके इसके लिए दोषियों ने पथराव भी किया था। कुछ लोग खतरनाक हथियारों से भी लैस थे। उनका कहना था कि 59 लोगों में औरत और बच्चे भी थे। बोगी का दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया गया था।
उन्होंने कहा, “पहले दोषी को देखिए। वो माफी की मांग कर रहा है, लेकिन पथराव कर रहा था जिससे लोग बाहर न आ सकें। दूसरे और तीसरे दोषी के खिलाफ भी पुख्ता साक्ष्य हैं। चौथे दोषी ने पेट्रोल खरीदा। उसे स्टोर किया। बोगी तक ले गया और फिर आगजनी की। ये लोग किसी भी तरह से माफी के लायक नहीं हैं।” सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि दोनों पक्षों के वकील मिलकर एक चार्ट तैयार करें। उन्होंने तीन हफ्ते बाद फिर से मामले की सुनवाई करने की तारीख दी।
27 फरवरी, 2002 को हुए इस अग्निकांड में 59 लोग मारे गए थे। साबरमती एक्सप्रेस से कारसेवक अयोध्या से वापस लौट रहे थे। इस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इस मामले में मार्च, 2011 में ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को सजा सुनाई थी, जिनमें से 11 को सजा-ए-मौत और 20 को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। बाकी 63 आरोपियों को बरी कर दिया गया था। इसके बाद गुजरात हाई कोर्ट ने 2017 में फैसले को बदलते हुए मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था। दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुर्विचार याचिका भी दाखिल की थी, जो 2018 से पेंडिंग है।
क्या है बिलकिस बानो का मामला?
साल 2002 के गुजरात दंगे के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। उस समय बिलकिस बानो की उम्र 21 साल थी और वे पांच महीने की गर्भवती थीं। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी और मुंबई की एक विशेष सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में इस सजा को बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। लेकिन पिछले साल गुजरात सरकार की माफी नीति में उनको पूर्व रिहाई का लाभ दे दिया था।