Ghulam Nabi Azad Attack On Congress Leader Jairam Ramesh: कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद गुलाम नबी आजाद खुलकर अपनी बात रख रहे हैं। जहां उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की तो वहीं राहुल गांधी को अच्छा इंसान बताते हुए जयराम रमेश पर अपनी भड़ास निकाली है। बता दें कि हाल ही में आजाद को भाजपा का रिमोट कंट्रोल कहा गया, जिसपर अब उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि जो(राहुल गांधी) सदन में अपनी स्पीच खत्म करके मोदी से गले मिलते हैं, वो उनसे मिले हुए हैं या फिर मैं मिला हूं?

पीएम मोदी की तारीफ की:

29 अगस्त को आजाद ने कहा, “मैं समझता था कि नरेंद्र मोदी गैर संजीदा, अक्खड़ आदमी हैं और उनको कोई परवाह नहीं है। लेकिन कम से कम उन्होंने इंसानियत दिखाई है।” उन्होंने कहा, “जब मैं कश्मीर का सीएम था और गुजरात के टूरिस्ट बस में ग्रेनेड से हमला हुआ और कई लोगों की जान गई। ऐसे में उस गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी का फोन आया तो मैं जोर-जोर से रो रहा था। तो मोदी ने मेरे रोने की आवाज सुनीं।” आगे उन्होंने कहा, “सीएम(मोदी) मुझे उस दौरान दिनभर फोन करके हालात की जानकारी ले रहे थे।”

जयराम रमेश पर भड़के:

गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश पर कहा कि जयराम 24 घंटे स्टोरी प्लांट करते रहते हैं। उनका DNA किसी को नहीं पता है। उन्होंने कहा, “पहले वे (जयराम रमेश) अपना DNA चेक करवाएं कि कहां के हैं और किस पार्टी से हैं, वह देखें कि उनका DNA किस-किस पार्टी में रहा है। बाहर के लोगों को कांग्रेस का अता-पता नहीं है। चापलूसी और ट्वीट कर जिन्हें पद मिले अगर वे आरोप लगाएं तो हमें दुख होता है।”

वहीं ‘आजाद का रिमोट कंट्रोल भाजपा के हाथ में है’ के सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि घर वालों ने घर छोड़ने पर मजबूर किया और जहां घर वालों को लगे कि यह आदमी नहीं चाहिए तो अकलमंदी खुद घर छोड़ने में है…जो शख्स अपनी स्पीच खत्म करने के बाद भरी सदन में उनसे(PM से) गले मिले, तो वे मिले हैं या मैं मिला हूं?

क्या कहा था जयराम रमेश ने:

कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि आजाद का DNA मोदी-फाइड हो चुका है। इसके अलावा राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी गुलाम नबी को संजय गांधी का चापलूस बताया है।

वहीं गुलाम नबी आजाद ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, “मौजूदा सीडब्ल्यूसी(कांग्रेस वर्किंग कमेटी) बेमतलब और निरर्थक है। सोनिया गांधी के, नेतृत्व में केवल सीडब्ल्यूसी थी। लेकिन पिछले 10 सालों में 25 सीडब्ल्यूसी सदस्य और 50 विशेष आमंत्रित सदस्य हुए हैं।” उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी 1998 और 2004 के बीच वरिष्ठ नेताओं से पूरी तरह से परामर्श कर रही थीं। उन्होंने मुझे आठ राज्यों का प्रभार दिया था और उसमें से मैंने सात में जीत दिलाई। उन्होंने कभी उसमें हस्तक्षेप नहीं किया।

“राहुल गांधी के पास राजनीतिक योग्यता नहीं”:

आगे गुलाम नबी आजाद ने कहा, “लेकिन राहुल गांधी के आने के बाद 2004 से सोनिया गांधी राहुल गांधी पर अधिक निर्भर होने लगीं। ऐसा करने की उनकी कोई योग्यता नहीं थी। सोनिया गांधी चाहती थीं कि हर कोई राहुल गांधी के साथ तालमेल बिठाए।” आजाद ने कहा कि निजी तौर पर राहुल गांधी से मुझे कोई शिकायत नहीं है। वह एक अच्छे इंसान हैं। लेकिन एक राजनेता के रूप में उनमें योग्यता नहीं है। उनके पास कड़ी मेहनत करने की योग्यता नहीं है।”