कांग्रेस के पूर्व नेता और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के चीफ गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि जिन लोगों के “दिमाग में प्रदूषण” है, उन्हें राजनीति की एबीसी सीखने के लिए बच्चों के स्कूल में दाखिला लेना चाहिए। आजाद मंगलवार को मीडिया के उन सवालों का जवाब दे रहे थे, जिसमें कांग्रेस नेताओं के हवाले से कहा गया कि पीएम मोदी और गुलाम नबी आजाद में आपसी लगाव है।
कांग्रेस का आरोप था कि विदाई भाषण में पीएम की प्रशंसा के पीछे कोई एजेंडा था
आज़ाद के कांग्रेस छोड़ने के तुरंत बाद, पार्टी के कई नेताओं ने आरोप लगाया था कि राज्यसभा से आज़ाद की विदाई के दौरान संसद में भावनात्मक भाषण में मोदी की जोरदार प्रशंसा के पीछे कोई एजेंडा था। 15 फरवरी, 2021 को राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए आजाद ने कहा कि उनकी विदाई के दिन बोलने वाले 20 वक्ता थे जिनमें प्रधानमंत्री भी एक थे।
आजाद ने कहा- प्रधानमंत्री के साथ अच्छे संबंध तब से हैं जब वह भाजपा महासचिव थे
अपनी पुस्तक “आज़ाद-एक आत्मकथा” के विमोचन की पूर्व संध्या पर राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आज़ाद ने उन लोगों को कड़ी फटकार लगाई जो विदाई भाषण और नियमित भाषण के बीच अंतर नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की राजनीतिक समझ “अतिसंदिग्ध” है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ उनके अच्छे संबंध उस समय से हैं जब वह भाजपा के महासचिव थे।
पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कांग्रेस के पूर्व दिग्गज ने सुझाव दिया कि ऐसे व्यक्तियों को राजनीति की अपनी बुनियादी समझ पर फिर से सोचना चाहिए। उन्हें कुछ बोलने से पहले बच्चों के स्कूल में भर्ती हो जाना चाहिए। आजाद के कड़े शब्दों के साथ इस्तीफे का जिक्र करते हुए कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पर हमला बोलते हुए कहा था, ‘मोदी और आजाद के बीच का प्यार हमने देखा है, यह संसद में भी देखा गया था। इस पत्र में उस प्यार का इजहार किया गया है।’
यह पूछे जाने पर कि मोदी के भाषण के तुरंत बाद उन्हें भाजपा का एजेंट करार दिया गया, उन्होंने कहा, “यह अपमानजनक है। इसका मतलब है कि कुछ लोगों के दिमाग प्रदूषित हैं। केवल प्रदूषित दिमाग वाले लोग ही ऐसी बातें कह सकते हैं।” अपनी पुस्तक में, आज़ाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में बताते हैं और कहते हैं कि इस अवधि ने उन्हें सदन के अंदर और बाहर प्रधानमंत्री को समझने का अवसर दिया।
विपक्ष के नेता के रूप में, मैंने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक महत्व के मुद्दों को उठाने की पूरी कोशिश की, और हर बार सदन के पटल पर पीएम और उनके सहयोगियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी उन कठोर शब्दों पर प्रतिक्रिया नहीं दी, जो मैंने उनकी सरकार के प्रदर्शन के खिलाफ इस्तेमाल किए थे। मैंने उन्हें आलोचना सहन करने की क्षमता के साथ एक महान श्रोता के रूप में पाया।” आजाद ने कहा, उन्होंने अनुच्छेद 370, सीएए और हिजाब पर सरकार का विरोध किया।
आजाद ने संसद में कांग्रेस पार्टी की ओर से बार-बार बाधा डालने की आलोचना की और पूछा कि “वे किस चेहरे के साथ मतदाताओं के पास जाएंगे।” उन्होंने कहा, “संसद में मेरे कार्यकाल के दौरान, मैंने यह सुनिश्चित किया कि सदन में कामकाज बाधित न हो।”