Gautam Adani Controversy: 21 नवंबर की सुबह-सुबह अमेरिका से एक खबर सामने आई और देश के सबसे चर्चित उद्योगपति गौतम अडानी पर सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप लगे। अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी एनर्जी को लेकर आरोप लगाया गया कि कंपनी ने सोलर एनर्जी से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी। इसके बाद से ही देश में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अडानी को मुद्दा बनाते हुए केंद्र की एनडीए सरकार को घेरना शुरू कर दिया।

पिछले लंबे वक्त से लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी अडानी को मिलने वाले कॉन्ट्रैक्ट में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते रहे हैं। राहुल गांधी का सीधा आरोप हमेशा ही पीएम मोदी पर रहता है और वे अडानी को पीएम मोदी का दोस्त बताकर उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाने के दावे करते हैं।

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संसद में कांग्रेस का जारी है विरोध प्रदर्शन

25 नवंबर को जब संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ तो उस दौरान भी राहुल गांधी समेत पूरी कांग्रेस ने अडानी का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया। इसका नतीजा ये रहा कि सोमवार से लेकर गुरुवार को संसद नहीं चल सकी। गुरुवार को भी विपक्षी दलों के सांसदों ने एक तरफ जहां अडानी का मुद्दा उठाया तो वहीं संभल में हुई हिंसा को लेकर सवाल उठाए। नतीजा ये गुरुवार को भी संसद ठप ही रही। इस बीच अब इंडिया गठबंधन के संकेत मिलने लगे, जिसकी वजह टीएमसी का बयान है।

इंडिया गठबंधन से अलग राह पर निकली टीएमसी

दरअसल, संसद के शीतकालीन सत्र में अडानी मुद्दे पर जारी गतिरोध के बीच ममता बनर्जी एक बार फिर अलग राह भी लेती नजर आ रही हैं। इसकी वजह यह है कि टीएमसी ने अपने सभी सांसदों की बैठक की। इस बैठक में टीएमसी ने अलग राह अपनाने का फैसला किया है। यह स्पष्ट संकेत हैं कि टीएमसी चाहती है कि संसद चले, जिससे जनता के मुद्दे उठाए जा सकें।

अडानी मुद्दे पर संसद में हंगामा

राज्यसभा में टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने बताया कि टीएमसी संसद में जनता की आवाज बनना चाहती है। टीएमसी की लोकसभा सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि टीएमसी चाहती है कि संसद चले। हम नहीं चाहते कि एक मुद्दा संसद को बाधित करे। हमें इस सरकार को उसकी कई विफलताओं को लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए।

मोदी सरकार की तय हो जवाबदेही- TMC

टीएमसी सांसद ने मोदी सरकार को लेकर कहा कि हम ये नहीं चाहते हैं कि केवल एक मुद्दा ही संसद को ठप करे, क्योंकि सरकार को उसकी नाकामियों के लिए जवाबदेह और जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

अडानी मामले में जगन मोहन रेड्डी का नाम भी उछला

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पर पहला हमला टीएमसी ने ही बोला है। इससे पहले हरियाणा में कांग्रेस की हार पर भी इंडिया गठबंधन की प्रमुख घटक दल टीएमसी ने कांग्रेस को घेरा था।

राहुल ने महाराष्ट्र चुनाव में भी उठाया था अडानी का मुद्दा

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद से पार्टी बैकफुट पर है, भले ही झारखंड में गठबंधन की जीत हुई हो लेकिन दबे मुंह इंडिया गठबंधन के नेता बयानबाजी करते रहे हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने धारावी और अडानी का मुद्दा उठाया था लेकिन नतीजों ने यह संकेत दिया है कि राहुल का यह दांव नहीं चला।

राफेल की तरह ही अडानी पर अटके राहुल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साल 2017-18 के दौरान फ्रांस से राफेल विमान की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। राहुल ने लोकसभा चुनाव 2019 का पूरा कैंपेन राफेल के कथित भ्रष्टाचार पर केंद्रित किया और ‘चौकीदार चोर है’ कैंपेन चलाया लेकिन इसका पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बाद पार्टी में अनेक सीनियर नेताओं ने भी राफेल के मुद्दे को लेकर खुद को दूर रखा, इससे राहुल गांधी नाराज भी हुए।

तेलंगाना सरकार ने क्यों वापस किया अडानी फाउंडेशन का 100 करोड़ का चेक?

राफेल की तरह ही पिछले लगभग ढाई साल से कांग्रेस नेता राहुल गांधी गौतम अडानी का मुद्दा उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि देश के अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी के कॉन्ट्रैक्ट एक साजिश के तहत अडानी को देकर उन्हें लाभ पहुंचाया जा रहा है। हालांकि, जब राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी तो उस दौरान अशोक गहलोत और भूपेश बघेल की सरकार ने अडानी को मोटे कॉन्ट्रैक्ट दिए थे।

इडिया गठबंधन के घटक दलों में बिखराव?

तमिलनाडु से लेकर तेलंगाना और पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक कई ऐसे में राज्यों में अडानी को उस वक्त कॉन्ट्रैक्ट मिले थे, जब वहां विपक्षी दलों की सरकार थीं। इसी तर्क से बीजेपी राहुल पर हमलावर रहती है लेकिन इस मुद्दे पर राहुल को संभवतः अपने सहयोगी दलों का कुछ खास समर्थन नहीं मिल रहा है।

अडानी के मुद्दे पर अगर आम आदमी पार्टी को छोड़ दें, तो उसके अलावा अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से लेकर आरजेडी, टीएमसी और डीएमके तक खुलकर अडानी को लेकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। अडानी के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन की यही बेरुखी कांग्रेस को अलग-थलग करती नजर आ रही है, जिसका नतीजा ये है कि अब टीएमसी अडानी मुद्दे पर कांग्रेस के साथ नहीं खड़ी दिख रही है। गौतम अडानी से जुड़ी अन्य सभी खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

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