सरकार ने गुरुवार को कहा कि गंगा को अविरल व निर्मल बनाना सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय है और नदी की जलीय जीवन व्यवस्था को बहाल करते हुए जुलाई 2018 तक गंगा को निर्मल बनाने का लक्ष्य रखा गया है। लोकसभा में कई सदस्यों के पूरक प्रश्नों के उत्तर में जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा को निर्मल बनाने के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रतिबद्धता से कदम उठाया और नमामि गंगे योजना के जरिए 100 फीसद केंद्र वित्त पोषण के माध्यम से इसे आगे बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 20 हजार करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं। इसके साथ ही जन जागरूकता फैलाने के लिए 350 करोड़ रुपए रखे गए हैं। उमा ने कहा कि इसके साथ ही गंगा में जलीय जीवन को बहाल करने की दिशा में भी पहल की जा रही है। आज गंगा में डालफिन, कछुए, स्वर्ण मछली समेत जलीय व्यवस्था खतरे में है। हमारा प्रयास है कि गंगा में डालफिल, कछुए, स्वर्ण मछली समेत विभिन्न जलीय व्यवस्था को बहाल किया जाए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा नदी पर करोड़ों लोग आजीविका के लिए निर्भर हैं। हालांकि हमने गंगा को आस्था की दृष्टि से ही देखा है, आर्थिक दृष्टि से कभी विचार नहीं किया। अब हम गंगा को आर्थिक दृष्टि से संजोने की योजना पर काम कर रहे हैं। उमा भारती ने कहा, ‘इन समग्र प्रयासों से हमारा लक्ष्य जुलाई 2018 तक गंगा को निर्मल बनाने का है।’
उमा भारती ने कहा कि गंगा तब तक निर्मल नहीं हो सकती जब तक इसकी सहयोगी नदियां साफ नहीं होती। इन नदियों में काफी मात्रा में उद्योगों की गंदगी भी मिलती है और गंदगी फैलती है। इसलिए गंगा के साथ यमुना, राम गंगा, गोमती, सरयू की निर्मलता का अभियान चलाया जाएगा।
पिछले दशकों में गंगा सफाई अभियान का कोई लाभ नहीं मिलने का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कांग्र्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि गंगा लाखों सालों से है और लाखों सालों तक रहेगी लेकिन गंगा की बर्बादी की कहानी पिछले 50-60 सालों की है। इसकी बड़ी जिम्मेदारी आपकी (कांग्रेस) है। उन्होंने कहा कि गंगा के साथ गोदावरी, कृष्णा, कावेरी में गंदगी फैलने को लेकर हम चिंतित हैं और इस विषय पर भी पहल की जा रही है।
उमा ने कहा कि वन शोध संस्थान ने गंगा नदी के इर्द गिर्द वृक्षारोपण के लिए 1600 करोड़ रुपए की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है और गंगा नदी में प्रदूषण के स्तर पर नजर रखने के लिए भी निगरानी पहल की गई है। इसके अलावा सात मंत्रालयों के साथ सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।