2012 में बीजेपी नेता और मौजूदा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कांग्रेस नेता और मप्र के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ दिल्ली के पटियाला हाउस की कोर्ट में केस दायर किया था। उस दौरान दोनों के बीच खासी तल्खी दिखी थी। हालांकि 2018 में गडकरी ने दिग्विजय के खिलाफ दायर केस तब वापस ले लिया जब पूर्व सीएम ने अपनी बात के लिए खेद जताया। तब लगा कि दोनों के संबंध खासे खट्टे हो चुके हैं। लेकिन पुणे में एक पुस्तक विमोचन समारोह में दोनों नेता मिले तो माहौल कुछ अलग ही था। दोनों ने एक दूसरे की शान में कसीदे पढ़ने में कोई कसर नहीं बाकी रखी।

नितिन गडकरी ने पुणे शहर के निकट एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के साथ मंच साझा किया। पहले उन्होंने हर साल पंढरपुर धार्मिक यात्रा में शामिल होने के लिए दिग्विजय सिंह की सराहना की। फिर वो बोले कि वो उनसे छोटे हैं लेकिन उनमें पैदल चलने की दिग्विजय सिंह जैसी हिम्मत नहीं है। धार्मिक यात्रा के दौरान आप इतना पैदल चलते हैं इसके लिए वो उनको बधाई देते हैं। जवाब में दिग्विजय सिंह ने कहा कि गडकरी को भी प्रयास करना चाहिए ताकि वह नियमित तौर पर इसमें भाग ले सके।

गडकरी ने 2018 में दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का एक मामला वापस ले लिया था क्योंकि सिंह ने अपने बयान पर खेद व्यक्त किया था। दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में मामले को वापस लेने के लिए संयुक्त याचिका दाखिल की गई थी। गडकरी ने कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं में उनका नाम घसीटने के आरोप में 2012 में सिंह के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था।

गौरतलब है कि सोलापुर के पंढरपुर शहर में भगवान विट्ठल और देवी रुक्मिणी का मंदिर है। दिग्विजय सिंह हर साल आषाढ़ी एकादशी के दिन पूजा-अर्चना के लिए पंढरपुर जाते हैं। भगवान विठ्ठल के श्रद्धालु वारकरी कहलाते हैं। ये लोग राज्य के अलग-अलग हिस्सों से निकाली जाने वाली शोभायात्रा में भाग लेते हैं। यह यात्रा ‘आषाढ़ी एकादशी’ के मौके पर पंढरपुर शहर में संपन्न होती है। गडकरी और सिंह कांग्रेस के दिवंगत नेता रामकृष्ण मोरे पर एक पुस्तक के विमोचन के लिए बृहस्पतिवार को यहां के निकट पिंपरी चिंचवाड में मौजूद थे।