जी20 शिखर सम्मेलन नौ और 10 सितंबर को दिल्ली में होने जा रहा है। दिल्ली के प्रगति मैदान में बने भारत मंडपम में यह आयोजन होगा। भारत अध्यक्ष है। इस सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष, यूरोपीय संघ एवं आमंत्रित देशों के शीर्ष अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 14 प्रमुखों शामिल होंगे। भारत ने जी20 की विषयवस्तु वसुधैव कुटुम्बकम या एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य रखा है।
जी20 देशों के आपसी सहयोग पर जोर के साथ जी20 मंच पर वैश्विक दक्षिण के देशों के हितों की बात को भी भारत ने उठाया है। यूक्रेन युद्ध की खींचतान और चुनौतियों के बीच भारत ने विकास के एजंडे को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया है। शिखर बैठक में जी20 साझा बयान पर आम सहमति बने, इसकी पुरजोर कोशिश की जा रही है।
जी20 को कोविड-19 महामारी की चुनौती, 2008 का वित्तीय संकट, ईरान के परमाणु कार्यक्रम, सीरिया के गृहयुद्ध जैसी चुनौतियों से गुजरना पड़ा है। यूक्रेन-रूस युद्ध और इसकी वजह से वैश्विक खाद्य आपूर्ति शृंखला में आई गड़बड़ी इसके सामने मौजूदा चुनौती है। यूक्रेन युद्ध की वजह से जी20 दो खेमों में बंटा नजर आता है।
एक तरफ, अमेरिका और पश्चिमी देश हैं तो दूसरी तरफ खुद रूस और चीन जैसे देश, जहां अमेरिका खुले तौर पर कह रहा है कि वह यूक्रेन के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा। वहीं रूस की दलील है कि जी20 आर्थिक फोरम है और इसका ध्यान आर्थिक सहयोग पर ही रहना चाहिए, कूटनीति और युद्ध जैसे मुद्दे को इससे अलग रखना चाहिए।
सितंबर 1999 में अस्तित्व में आने के बाद अब यह समूह विश्व का सबसे शक्तिशाली आर्थिक मंच बन गया है। यह एक ऐसा मंच है जो विविधता और संपूर्णता में विश्वास रखता है। वर्ष 1997-98 में एशिया में वित्तीय संकट का दौर आया, जब थाईलैंड ने अपनी मुद्रा बाट को अमेरिकी डालर के मुकाबले विनियम के लिए खुला छोड़ दिया। इससे मुद्रा का लगातार अवमूल्यन हुआ और देखते ही देखते इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे पड़ोसी देश भी इसकी जद में आए। मुद्रा संकट रूस और ब्राजील तक फैल गया और इसने वैश्विक मुद्रा संकट का रूप ले लिया।
इस संकट के बाद 1999 में जी20 का गठन एक अनौपचारिक फोरम के तौर पर किया गया। मकसद था कि दुनिया की सबसे अहम औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के बीच अंतराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता को लेकर विचार विमर्श हो और आपस में समन्वय बने। इस समूह के गठन को 24 साल हो गए।
हालांकि, कुल 17 बैठकें इस समूह की हुई हैं। भारत में 18वां सम्मेलन किया जा रहा है। वर्ष 2024 का शिखर सम्मेलन ब्राजील की अध्यक्षता में किया जाएगा। वर्ष 2007 में विश्वव्यापी आर्थिक और वित्तीय संकट के बाद जी20 मंच को राष्ट्र प्रमुखों के स्तर का बना दिया गया। वर्ष 2009 आते आते यह तय हुआ कि विश्वव्यापी आर्थिक संकट से निपटना राष्ट्र प्रमुखों के स्तर पर ही संभव होगा।
इसके लिए जी20 देशों के प्रमुखों का नियमित रूप से मिलते रहना जरूरी माना गया। वर्ष 2008 से जी20 की बैठक हर साल होने लगी। हर साल इसकी अध्यक्षता जी20 का एक सदस्य देश करता है। फिर वो दूसरे सदस्य देश को सौंप देता है। जैसे इंडोनेशिया ने पिछले साल भारत को अध्यक्षता सौंपी। इस साल भारत ब्राजील को अध्यक्षता सौंपेगा।
समूह में कौन-कौन
जी 20 में 19 देश हैं और साथ में यूरोपीय संघ है। 19 सदस्य देश हैं – अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके और अमेरिका। इसके अलावा हर साल अध्यक्ष देश दूसरे कई और देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को जी-20 की बैठकों और शिखर सम्मेलन के लिए अतिथि के तौर पर आमंत्रित करता है।
संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन नियमित रूप से आमंत्रित किए जाते हैं। इस बार भारत ने नौ देशों को अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। ये देश हैं – बांग्लादेश, मिस्र, मारिशस, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात।
प्रतिनिधित्व क्षमता
जी20 सदस्य वैश्विक आर्थिक विकास दर का लगभग 85 फीसद, वैश्विक व्यापार का 75 फीसद से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं। इसका गठन वैश्विक अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रमुख मुद्दों का हल निकालने के लिए किया गया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन शमन और सतत विकास जैसे मुद्दे शामिल है। साथ ही यह समूह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कामकाज का तरीका
जी20 अध्यक्ष देश एक वर्ष के लिए एजंडा का संचालन करता है और शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है। इस समूह में दो समानांतर ट्रैक हैं : वित्तीय ट्रैक और शेरपा ट्रैक। वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर वित्तीय ट्रैक का नेतृत्व करते हैं जबकि शेरपा वित्त ट्रैक के बाद शेरपा ट्रैक का नेतृत्व करते हैं। इस ग्रुप का गठन भी संयुक्त राष्ट्र की तर्ज पर किया गया है, इसके पास कोई विधायी शक्ति नहीं है। इस समूह द्वारा लिए गए किसी भी फैसले को कोई भी देश कानूनी रूप से मानने के लिए बाध्य नहीं है।
अध्यक्ष और मुख्यालय
इस बार भारत इसकी अध्यक्षता कर रहा है। इसकी अध्यक्षता ट्रोइका द्वारा तय होती है। इस बार के ट्रोइका में इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील शामिल है। आसान भाषा में कहे तो ट्रोइका में पिछला मेजबान देश, वर्तमान मेजबान और अगला मेजबान देश शामिल होते हैं।इस समूह का कोई मुख्यालय नहीं है। इसके तहत शिखर सम्मेलन का आयोजन सदस्य देशों द्वारा प्रतिवर्ष किया जाता है। संचालन बिना स्थायी कर्मचारियों के किया जाता है। अध्यक्ष बनने वाला देश पूरे वर्ष होने वाली बैठकों का आयोजन करता है।
अब तक कहां-कहां सम्मेलन
पहला 14-15 नवंबर 2008 को वांशिंगटन में। दूसरा लंदन में दो अप्रैल 2009 को।तीसरा साल 2009 में ही 24-25 सितंबर को अमेरिका के पिट्सबर्ग में। इस साल दो बार जी-20 देश मिले थे।चौथा 26-27 जून 2010 को कनाडा के टोरंटो में। पांचवां 11-12 नवंबर 2010 को सिओल में। छठा 3-4 नवंबर 2011 को फ्रांस के कान।सातवां मैक्सिको में 18-19 जून 2012 को। आठवां रूस में 5-6 सितंबर 2013 को। नौवां 15-16 नवंबर 2014 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में।10वां 15-16 नवंबर 2015 को तुर्की में।
11वां चीन में 4-5 सितंबर 2016 को। 12वां 7-8 जुलाई 2017 को जर्मनी के हैम्बर्ग में।13वां 30 नवंबर से एक दिसंबर 2018 को अर्जेंटीना में।14वां जापान के ओसाका में 28-29 जून 2019 को। 15वां 21-22 नवंबर 2020 को सऊदी अरब में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से।16वां 30-31 अक्तूबर 2021 को इटली के रोम में।17वां 15-16 नवंबर 2022 को इंडोनेशिया में।18वां 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में होने वाला है।19वां सम्मेलन ब्राजील साल 2024 में आयोजित करेगा।20वें का आयोजन साल 2025 में दक्षिण अफ्रीका कर सकता है।