G20 Summit: जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मार्गरेट मैकलियोड ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्था भारत और विकसित अर्थव्यवस्था अमेरिका एक साथ आकर वैश्विक मुद्दों पर मसला हल करने के लिए बात करेंगी। हम समझते हैं कि इसमें पूरी दुनिया का दृष्टिकोण शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में अफ्रीकी यूनियन के शामिल होने की बात हो रही है जिसका अमेरिका समर्थन करता है।
एक सवाल के जवाब में मार्गरेट मैकलियोड ने कहा कि यह देशों का फैसला होता है कि वे कौन सा प्रतिनिधि भेजना चाहते हैं। रूस और चीन जो भी प्रतिनिधि भेजेंगे हम उनके साथ G 20 में काम करेंगे। जैसा की हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि सर्वसम्मति मुश्किल होगी, लेकिन यह नहीं कहूंगी की नामुमकिन होगा। हम कोशिश करेंगे कि सर्वसम्मति हो।
अमेरिका, भारत को एक बड़े साझेदार के रूप में देखता है इसका प्रमुख कारण क्या है? इस सवाल के जवाब में मार्गरेट अमेरिका और भारत दोनों बड़े लोकतंत्र हैं। दोनों देशों के पास किसी भी चुनौती से निपटने का अनुभव है, जो हम पूरी दुनिया को शेयर कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हम दोनों देश शिक्षा का काफी अहम मानते हैं।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता ने कहा कि जी-20 एक ऐसा मंच हैं, जहां हम मिलकर पूरी दुनिया को कुछ अच्छा डिलेबर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब महामारी आई थी, तब हम उसको लेकर एक साथ आ गए थे। दोनों देशों ने किसी भी चुनौती से काफी अच्छे तरीके से निपटा है।
हिंदी कब सीखी?
इस सवाल के जवाब में मार्गरेट मैकलियोड ने कहा, ‘जब मैं दिल्ली के मुखर्जी नगर में रह रही थी। उस वक्त मैं दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ रही थी। मैकलियोड ने कहा कि मुझे इतिहासिक जगह बहुत पसंद है, जैसे- पुराना किला, लाल किला। आधुनिक चीजें भी पसंद हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं पढ़ती थी उस वक्त का गुड़गांव और आज का गुड़गांव एकदम अलग है।’
भारत में जर्मनी के राजदूत क्या बोले-
भारत में जी 20 शिखर सम्मेलन रूसी राष्ट्रपति और चीनी राष्ट्रपति के जी 20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने पर भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा, “राष्ट्रपति पुतिन पिछले शिखर सम्मेलन में भी शामिल नहीं हुए थे। यही अपेक्षित था। हम चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की गैर-उपस्थिति से थोड़ा आश्चर्यचकित थे। लेकिन मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि यह जी 20 प्लस बैठक है…किसी एक राष्ट्रपति की गैर-उपस्थिति का असर इस शिखर सम्मेलन पर नहीं पड़ने देना चाहिए।”
वहीं जर्मन राजदूत फ़िलिप एकरमैन ने कहा, ‘यह एक बेहद सफल और बेहद प्रभावशाली शिखर सम्मेलन है। भारत जैसी अध्यक्षता (G 20 की) पहले कभी नहीं हुई…मुझे लगता है कि इसने G 20 को अगले स्तर पर पहुंचा दिया है। पूरे भारत में 500 बैठकें हुईं… मेरा सम्मान और प्रशंसा भारतीय प्रोटोकॉल, भारतीय शेरपा, टीम, अमिताभ कांत और भारत सरकार के प्रति है। मुझे लगता है कि उन्होंने शानदार काम किया है। उन्होंने बहुत कठिन समय में यह काम किया है। यह शायद राजनीतिक रूप से सबसे कठिन G 20 सम्मेलन हो रहा है… हम देखेंगे कि सप्ताहांत में क्या होता है। हमें आशा है और पूरा विश्वास है कि भारतीय पक्ष एक ऐसा बयान देगा जिस पर कम से कम अधिकांश G 20 देशों की सहमति होगी।’