एफटीआइआइ के आंदोलनकारी छात्र अपने रुख से पीछे हटते हुए नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने अपने प्रदर्शन का विस्तार करने के लिए अन्य संस्थानों से संपर्क करने की योजना बनाई है। वहीं पुणे स्थित संस्थान के प्रबंधन ने शुक्रवार को पाठ्यक्रम पूरा कर चुके 30 छात्रों से उनके छात्रावासों के कमरे खाली करने को कहा। साथ ही संस्थान के प्रशासन ने कक्षाएं नहीं चलने का हवाला देते हुए 82 अस्थाई कर्मचारियों की सेवा खत्म करने का फैसला किया है।

जिन 30 छात्रों को छात्रावास के कमरे खाली करने का निर्देश दिया गया है, उनमें 13 वे शामिल हैं जिन्हें एफटीआइआइ प्रबंधन अधिक समय तक ठहरने के मामले में नोटिस जारी कर चुका है। एफटीआइआइ के निदेशक प्रशांत पथराबे ने पुणे में पत्रकारों से कहा कि उन्होंने परिसर में कक्षाएं नहीं चलने की वजह से 82 संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त करने का प्रशासनिक फैसला किया है। इनमें मुख्य रूप से वे शामिल हैं जो अकादमिक फिल्म परियोजनाओं को तकनीकी सहयोग प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘हड़ताल के कारण कक्षाएं नहीं लग रहीं हैं। इसलिए संविदा कर्मियों को रखने का कोई औचित्य नहीं है’। पथराबे ने कहा कि 2008 बैच के करीब 50 विद्यार्थियों ने अभी तक अपनी फिल्म परियोजना पूरी नहीं की है। उन्होंने कहा, ‘अब फैसला किया गया है कि शिक्षक उनकी परियोजनाओं का ‘जैसी है और जहां है’ के आधार पर मूल्यांकन करेंगे’।

पथराबे ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में एफटीआइआइ के डीन से सलाह मशविरा किया है। इस बीच छात्रों ने इस कदम को उन्हें ‘पंगु’ करने और उन पर हड़ताल वापस लेने के लिए दबाव बनाने की कोशिश बताया। एफटीआइआइ के छात्र गजेंद्र चौहान को संस्थान के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग को लेकर 12 जून से कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं।

भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के प्रदर्शनकारी छात्रों के एक समूह ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि वे समर्थन प्राप्त करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू, जामिया मिल्लिया, पांडिचेरी विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान और आइआइएम संस्थानों के साथ संपर्क में हैं।

छात्र विकास उर्स ने कहा कि उन्हें जबरदस्त समर्थन मिल रहा है और कई अन्य संस्थानों में भी इस तरह की समस्याएं हैं। छात्रों ने कहा कि उन्होंने सवाल उठाकर कुछ गलत नहीं किया है। उन्होंने सरकार पर जिम्मेदारी से काम नहीं करने का आरोप लगाया। उनका आरोप है कि धमकाने और द्वेष का माहौल बन गया है।

उन्होंने कहा कि उनका प्रदर्शन केवल संस्थान के अध्यक्ष के तौर पर चौहान की नियुक्ति को लेकर नहीं है बल्कि एफटीआइआइ की परिषद के चार नए सदस्यों को लेकर भी है। छात्रों का आरोप है कि उन्हें उनके स्तर की वजह से नहीं बल्कि राजनीतिक संबद्धताओं की वजह से नियुक्त किया गया है। उनका दावा है कि एक सदस्य पुणे में भाजपा से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी की स्थानीय इकाई का अध्यक्ष रह चुका है।

छात्रों का यह भी दावा है कि पुलिस ने बेबुनियाद आधार पर कुछ छात्रों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। एफटीआइआइ छात्र संघ ने पुणे के परिसर में सादी वर्दी में पुलिसकर्मियों की मौजूदगी का भी विरोध किया है। छात्र प्रतिनिधि रंजीत नायार ने कहा कि दिल्ली से उनके साथियों की वापसी के बाद आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला किया जाएगा।