देशभर में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की मुहीम में शामिल होने की अपील की है। इसी बीच एआईएमआईएम चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक सभा के दौरान सिराजुद्दौला से लेकर टीपू सुल्तान तक का जिक्र किया और कहा कि देश की आज़ादी में मुसलमानों के योगदान का जिक्र नहीं होता है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “हमारे वतन में जो जाहिल लोग हैं और जिन्होंने हमारे देश के लोगों में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरा है, हम उनको एक आईना दिखाना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि इस मुल्क की आज़ादी की लड़ाई में मुसलमानों का क्या किरदार रहा है। 15 अगस्त को देश को आजादी मिली लेकिन क्या सिर्फ 1910 और 1920 की जद्दोजहद से ही देश को आज़ादी मिली, तो इसके लिए तारीख को देखना पड़ेगा।”
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा, “1947 में मुल्क आजाद हुआ तो 1857 में जंग-ए-आज़ादी मिली। 1857 से पहले 1757 में एक और जंग हुई थी बैटल ऑफ प्लासी यानी सिराजुद्दौला की जंग। उसके बाद 1764 में जंग-ए-बक्सर हुई। 1774 में रोहिला की जंग हुई और फिर 1799 में टीपू सुल्तान की शहादत हुई। जो कुर्बानी टीपू सुल्तान ने दी, उससे एक हौसला मिला, रोहिला की जंग से एक हौंसला मिला, बक्सर की जंग से हौंसला मिला।”
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “1947 में आजादी मिली लेकिन हम मुल्क की आजादी को 1920 से ही देखेंगे, यक़ीनन लोगों ने कुर्बानी दी। लेकिन क्या हम सिराजुद्दौला की कुर्बानी भूल जाएंगे? क्या हम भूल जाएंगे उनको, जो बक्सर की जंग में शहीद हुए थे? क्या हम रोहिला की जंग को भूल जाएंगे? इसीलिए हम सबको ये याद रखना जरूरी है।”
ओवैसी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, “जो देश से मोहब्बत नहीं करते, केवल उन्हें ही पाकिस्तान याद आता है। ये एक कड़वी सच्चाई है कि भारत का बंटवारा हुआ। मगर जिनको पाकिस्तान जाना था वो चले गए। सिर्फ उस समय एक एलीट क्लास को वोट डालने का हक़ था। हिंदुत्व राष्ट्रवाद कहता है कि सिर्फ एक ही कल्चर रहेगा।