देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। उन्होंने 92 वर्ष की आयु में आखिरी सांस ली। दिल्ली एम्स में उन्हें गुरुवार रात को ही भर्ती कराया गया और रात को उन्होंने आखिरी सांस ली। मनमोहन सिंह की जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं। मनमोहन सिंह के जीवन से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जब उनके विरोधियों ने भी उनकी तारीफ की थी।

  1. 10 साल तक रहे पीएम: मनमोहन सिंह भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में वर्ष 2004 से 2014 तक 10 वर्षों तक देश का नेतृत्व किया। कभी अपने गांव में मिट्टी के तेल से जलने वाले लैंप की रोशनी में पढ़ाई करने वाले सिंह आगे चलकर एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद बने। मनमोहन सिंह की 1990 के दशक की शुरुआत में भारत को उदारीकरण की राह पर लाने के लिए सराहना की गई। उनकी आर्थिक नीतियों की तारीफ उनके विरोधी भी करते थे।
  2. इस्तीफा देने का बना लिया था मन: प्रधानमंत्री के रूप में अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों पर आंखें मूंद लेने के लिए भी उनकी आलोचना की गई। उनके करीबी सूत्रों की माने तो राहुल गांधी द्वारा दोषी राजनेताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति देने के लिए अध्यादेश लाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की प्रति फाड़ने के बाद मनमोहन सिंह ने लगभग इस्तीफा देने का मन बना लिया था। उस समय वह विदेश में थे। भाजपा द्वारा मनमोहन सिंह पर अक्सर ऐसी सरकार चलाने का आरोप लगाया जाता था जो भ्रष्टाचार से घिरी हुई थी। बीजेपी ने उन्हें ;मौनमोहन सिंह’ की संज्ञा दी थी और आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ नहीं बोला।
  3. साधारण परिवार में हुआ था जन्म: अविभाजित भारत (अब पाकिस्तान) के पंजाब प्रांत के गाह गांव में 26 सितंबर, 1932 को गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर जन्मे सिंह ने 1948 में पंजाब में अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। उनका शैक्षणिक करियर उन्हें पंजाब से ब्रिटेन के कैंब्रिज तक ले गया जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री हासिल की। मनमोहन ​​सिंह ने इसके बाद 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नाफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में ‘डी.फिल’ की उपाधि प्राप्त की। फर्श से अर्श तक आने की उनकी कहानी की तारीफ उनके विरोधी भी करते हैं।
  4. भारत सरकार में अहम पदों पर रहे: मनमोहन सिंह वर्ष 1971 में सिंह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। इसके तुरंत बाद 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। उन्होंने जिन कई सरकारी पदों पर काम किया उनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पद शाामिल हैं। उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ 1991 में नरसिंह राव सरकार में भारत के वित्त मंत्री के रूप में सिंह की नियुक्ति था। आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति शुरू करने में उनकी भूमिका को अब दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है।
  5. पीएम ने संसद में की थी तारीफ: आखिरी बार मनमोहन सिंह 7 अगस्त 2023 को संसद में पहुंचे थे। दिल्ली सेवा बिल को लेकर राज्यसभा में बहस चल रही थी। इस बिल के समर्थन में वोटिंग के लिए देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व्हीलचेयर पर संसद में पहुंचे थे। मनमोहन सिंह के संसद में व्हीलचेयर पर आने पर पीएम मोदी ने उनकी जमकर तारीफ की थी। पीएम मोदी ने कहा था, “उनको पता है कि विजय सरकार की होने वाली है। इसके बावजूद वह व्हीलचेयर पर संसद में आए और वोट किया। मुझे लगता है एक सांसद अपने दायित्व के लिए कितना सजग है, यह उसका उदाहरण है। यह कितना प्रेरणादाई दृश्य है। सवाल यह नहीं है कि वह किसे ताकत देने के लिए वोट देने आए। मैं मानता हूं कि वह लोकतंत्र को ताकत देने के लिए वोट करने आए। इसलिए आज विशेष रूप से मैं उनकी दीर्घायु के लिए प्रार्थना करता हूं। वह निरंतर हमारा मार्गदर्शन करते रहे ऐसी मैं अपेक्षा करता हूं।”

आखिरी बार व्हीलचेयर पर मोदी सरकार के बिल के खिलाफ वोट करने संसद पहुंचे थे मनमोहन सिंह, PM मोदी ने की थी जमकर तारीफ