Manmohan Singh Passes Away: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को पीवी नरसिम्हा राव के शासनकाल में भारत के आर्थिक सुधारों के निर्माता के तौर पर देखा जाता है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का गुरुवार रात को निधन हो गया। दिल्ली एम्स में सिंह ने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। मनमोहन सिंह करीब 33 साल तक राज्यसभा के सांसद रहे। जब वह सांसद थे तब भी वह राज्यसभा के ही सदस्य थे। ज्यादातर लोग पीएम रहते हुए लोकसभा से चुनकर आते हैं। लेकिन मनमोहन सिंह ने महज एक ही बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था। आइए जानते हैं कि वह किस सीट से उम्मीदवार थे।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने सियासी जीवन का पहला लोकसभा इलेक्शन देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से ही लड़ा था। हालांकि, वह इस चुनाव में कामयाब नहीं हो सके थे। उन्हें भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विजय कुमार मल्होत्रा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। वह दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी थे। साल 1999 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विजय कुमार मल्होत्रा को 2,61,230 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी डा. मनमोहन सिंह को 2,31,231 ही वोट मिल सके। वहीं तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी मोहम्मद शरीफ को महज 2,846 वोटों से ही संतोष करना पड़ा।
पार्टी | प्रत्याशी | वोट |
बीजेपी | विजय कुमार मल्होत्रा | 261230 |
कांग्रेस | डॉ. मनमोहन सिंह | 231231 |
निर्दलीय | मोहम्मद शरीफ | 2846 |
भारत दल | नरेंद्र नाथ शुक्ला | 1021 |
निर्दलीय | वेद प्रकाश | 886 |
निर्दलीय | दिनेश जैन | 616 |
निर्दलीय | घनश्याम दास | 480 |
एनसीपी | प्रेमा | 424 |
निर्दलीय | जैनिस दरबारी | 341 |
निर्दलीय | जोगिंदर सिंह | 322 |
निर्दलीय | अशोक कुमार | 284 |
निर्दलीय | खैराती लाल | 256 |
कितने उम्मीदवार मैदान में उतरे
विजय कुमार मल्होत्रा का वोट प्रतिशत 21.51, मनमोहन सिंह का 19.04 और मोहम्मद शरीफ का 0.23 रहा था। उस समय दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से 12 उम्मीदवार चुनावी दंगल में थे। इनमें से आठ निर्दलीय उम्मीदवार थे। इनमें मोहम्मद शरीफ, वेद प्रकाश, दिनेश जैन, घनश्याम दास, जनिस दरबारी, जोगिंदर सिंह, अशोक कुमार और खैराती लाल का नाम शामिल है।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का राजनीतक जीवन 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शुरू हुआ। जल्द ही वे वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार और सचिव जैसे अहम पदों पर पहुंच गए। कई मायनों में 1991 से 1996 तक वित्त मंत्री के तौर पर सिंह की वित्त नीतियों ने भारतीय इकोनॉमी को बदल दिया। 2004 में कांग्रेस ने संसदीय चुनावों में जीत हासिल की और सोनिया गांधी ने सिंह को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। सिंह 2009 में फिर से चुने गए लेकिन मुद्रास्फीति और भ्रष्टाचार घोटालों जैसी समस्याओं ने उनके प्रशासन की विश्वसनीयता को काफी चोट पहुंचाई। बराक ओबामा से लेकर एंजेला मर्केल तक, पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह के निधन पर वैश्विक नेताओं ने जताया शोक पढ़ें पूरी खबर…